17वीं लोकसभा के अंतिम दिन, लोगों की आरक्षित सीट खत्म करने की मांग

  • पिछले पांच दशक से आरक्षण का दंश झेल रहे जनपदवासी

बाराबंकी। लोकसभा क्षेत्र बाराबंकी की सीट पिछले पांच दशक से लेकर आज तक आरक्षित कोटे में चल रही है। आज सत्रहवीं लोकसभा का अंतिम दिन है।अभी हाल ही में 18वीं लोकसभा का चुनाव मई में चुनाव होना है। लेकिन अब तक यहां की जनता सुरक्षित सीट का दंस झेल रही है। लोगों का कहना है की हर जगह चक्रानुक्रम के अनुसार सीटों का बदलाव किया गया है। लेकिन क्या कारण है कि शासन ने इस सीट का बदलाव नहीं किया है। अब जब चुनाव मुहाने पर है तो समूचे क्षेत्र में इसकी चर्चा जोरों पर है। ज्ञात हो कि सन 1971 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के सांसद बनने के बाद फिर अगले चुनाव में 1977 में यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो गई। उसी वर्ष संपन्न हुए चुनाव में जनता पार्टी के रामकिंकर सांसद बने 1980 के पुनर चुनाव में दोबारा इन्हें ही सांसद बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। इसके बाद 1984 के संपन्न हुए चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कमला प्रसाद रावत सांसद बने। 1989 के संपन्न चुनाव में जनता दल से रामसागर रावत विजई हुए। 1991 में जनता पार्टी से तथा 1996 में समाजवादी पार्टी से लगातार तीसरी बार सांसद बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। 1998 के चुनाव में बीजेपी से बैजनाथ रावत सांसद बने। इसके बाद 1999 के संपन्न चुनाव में राम सागर रावत चौथी बार समाजवादी पार्टी से सांसद बने।

2004 के संम्पन्न हुए में कमला प्रसाद रावत बीएसपी से दूसरी बार सांसद बने। 2009 में हुए चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के पीएल पुनिया ने अपना परचम लहराया। 2014 के चुनाव में बीजेपी की प्रियंका सिंह रावत को जनता ने सलाखों पर बिठाकर इन्हें लोकसभा भेजा। 2019 के चुनाव में विधायक रहते हुए बीजेपी से चुनाव लड़ने वाले उपेंद्र रावत को जनता ने सांसद बनने का मौका दिया। इस प्रकार करीब 5 दशकों से लोकसभा क्षेत्र की सीट सुरक्षित कर दी गयी। अब 2024 के मई में चुनाव होने हैं।जिसके चलते अट्ठारहवीं लोकसभा का गठन होना है। लगातार संपन्न हुए कई चुनावों में सीट के आरक्षित होने के चलते ऐसे ही उम्मीदवारों को जनता को मजबूरन चुनना पड़ा। गौरतला बात यह है कि चक्र अनुक्रम के हिसाब से तमाम स्थानों पर आरक्षित सीटों में फेरबदल हुआ लेकिन यह संजोग ही कहा जाए की बाराबंकी की सीट जो की टीव बनी हुई है क्षेत्र के लोगों का कहना है कि आखिर हमारी सीट क्यों नहीं बदली गई हम कब तक आरक्षित सीट का डांस खेलते रहेंगे या कभी यह सीट सामान्य होगी जिसमें सभी वर्गों के लोगों को आने का मौका मिलेगा।

इनसेट-
” छह बार के विधायक व एक बार मंत्री रहे मौजूदा विधायक रामनगर फरीद महफूज किदवई का कहना है कि सन 1977 से लेकर अब तक हो रहे सभी चुनाव में क्षेत्र की जनता आरक्षण का दंश झेल रही है। जिससे सभी वर्गों के लोगों को लोकसभा चुनाव में अपनी दावेदारी करने का मौका नही मिल पा रहा है।

“गांधीवादी विचारधारा के खाटी नेता राजनाथ शर्मा का कहना है कि चक्रानुक्रम के अनुसार लोकसभा की सीट के आरक्षण का बदलाव बहुत पहले ही हो जाना चाहिए था। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। यह बिडम्बना ही कही जाए।

बीजेपी के फायर ब्रांड राष्ट्रीय नेता लालकृष्ण आडवाणी के सानिध्य में काफी दिनों तक रहने वाले नगर पंचायत रामनगर के अध्यक्ष एवं चेयरमैन संघ के जिलाध्यक्ष रामशरण पाठक का कहना है कि आरक्षित सीट बाराबंकी बहुत पहले ही बदल जानी चाहिए थी। जिससे सभी वर्गों के लोगों को चुनाव में लड़ने का मौका मिले।

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