बदायूं । महिला अस्पताल में जन्मी बच्ची की हालत बिगड़ने पर एसएनसीयू में 12 घंटे तक भर्ती नहीं किया गया। पीड़ित का आरोप है कि पांच हजार रुपये लेने के बाद मशीन दी गई, लेकिन तब तक बच्ची की हालत बहुत बिगड़ चुकी थी। दो घंटे मशीन में रखने के बाद बच्ची की मौत हो गई। पीड़ित ने सीएमएस डॉ. इंदुकांत वर्मा से डयूटी पर तैनात स्टाफ की लापरवाही और रुपये लेने की शिकायत की है। शहर के दुर्गा कॉलोनी में रहने वाले अरुण ने सीएमएस से की शिकायत में एसएनसीयू में तैनात कर्मचारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उसका कहना है कि उसने अपनी पत्नी सोनी को प्रसव पीड़ा होने पर महिला अस्पताल में रविवार को भर्ती कराया था। सोमवार को उसकी पत्नी ने बेटी को जन्म दिया। डॉक्टर ने कहा कि बच्ची का वजन कम है, एसएनसीयू में भर्ती करा दो। सोमवार अपराह्न तीन बजे वह एसएनसीयू वार्ड में गया और बच्ची को भर्ती कराने को मौजूद स्टाफ से कहा। स्टाफ ने मशीन खाली न होने की बात कही। कहा कि जब मशीन खाली होगी तो बच्ची को भर्ती कर लिया जाएगा।
कर्मचारी बोला- 5000 रुपये दो, हम मशीन दिला देंगे
रात में वह वार्ड के चक्कर लगाता रहा। इस दौरान एक कर्मचारी ने कहा कि पांच हजार रुपये दो तो हम मशीन दिला सकते हैं। उसने बच्ची की जान बचाने को कर्मचारी को पांच सौ रुपये दे दिए। कुछ ही देर में कर्मचारी आया और कहा कि बच्ची को ले चलो, मशीन खाली है। तड़के करीब तीन बजे बच्ची को भर्ती कराने वह एसएनसीयू वार्ड ले गया, जहां डयूटी पर तैनात स्टाफ नर्स व अन्य कर्मचारियों ने उससे पांच हजार रुपये और ले लिए। पांच बजकर 15 मिनट पर एसएनसीयू वार्ड में बच्ची की मौत हो गई। आरोप है कि अगर कर्मचारी सही समय पर रुपये लेकर भी मशीन दे देते तो बच्ची की मौत नहीं होती। कर्मचारियों की लापरवाही व रुपये लेने की शिकायत सीएमएस से की है।
कोई मशीन खाली नहीं थी- सीएमएस
महिला अस्पताल के सीएमएस डॉ. इंदुकांत ने बताया कि शिकायत मिली है। सोमवार को एसएनसीयू में कोई मशीन खाली नहीं थी। अन्य दो लोगों के बच्चे भी मशीन खाली होने पर भर्ती कराए गए थे। बच्ची बहुत कमजोर थी। कर्मचारियों की लापरवाही से बच्ची की मौत नहीं हुई है। कर्मचारियों ने तो मशीन खाली होते ही उसको बुलाकर मशीन दी थी। इस तरह के केस में कर्मचारियों पर रुपया लेने का आरोप तो लगाते ही हैं। एसएनसीयू में कोई रुपया नहीं लिया जाता।