रिश्वत मामले में ईडी अधिकारी के खिलाफ पुलिस ने किया साक्ष्य का जिक्र

चेन्नई। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारी अंकित तिवारी को एक सरकारी चिकित्सक द्वारा दी गई रिश्वत की पहली किस्त कैमरे में रिकार्ड हो गई थी। तमिलनाडु पुलिस की प्राथमिकी में यह उल्लेख किया गया है। शिकायतकर्ता डा. टी सुरेश बाबू ने अपनी कार के चालक को 20 लाख रुपये नकदी ईडी अधिकारी की कार के पिछले हिस्से में सामान रखने की जगह में रखने को कहा था। तिवारी चाहता था कि नकदी को कार में उसी स्थान पर रखा जाए और इसलिए ऐसा किया गया।

एक नवंबर को हुआ था मामला
ईडी अधिकारी ने रिश्वत की रकम रखने के लिए अपनी कार की डिग्गी खोला था। यह प्रकरण मदुरै के पास एक राजमार्ग पर एक नवंबर को हुआ था और पूरी घटना बाबू की कार के अगले हिस्से में लगे कैमरे में रिकार्ड हो गई। अपनी शिकायत में बाबू ने कहा कि वह तुरंत सतर्कता और भ्रष्टाचार निरोधक निदेशालय (डीवीएसी) के पास शिकायत दर्ज नहीं कर सका क्योंकि वह पीड़ा में था और ईडी अधिकारी के दबाव के कारण अस्वस्थ भी था। डीवीएसी तमिलनाडु पुलिस की भ्रष्टाचार विरोधी इकाई है।

अधिकारी ने मांगी दी तीन करोड़ रुपये की रिश्वत
ईडी अधिकारी अंकित तिवारी ने डॉक्टर से तीन करोड़ रुपये की रिश्वत मांगी थी लेकिन बाद में 51 लाख रुपये में डील फाइनल हुई। बाबू ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि ईडी अधिकारी ने उन्हें परेशान किया और धमका कर पैसे की वसूली की। अधिकारी हमेशा ही वाट्सएप काल पर चिकित्सक से बात करता था। बाबू से रिश्वत की दूसरी किस्त के रूप में 20 लाख रुपये लेते हुए तिवारी को सतर्कता एवं भ्रष्टाचार रोधी निदेशालय ने एक दिसंबर को रंगे हाथ गिरफ्तार किया था।

तमिलनाडु में ईडी अधिकारी की गिरफ्तारी पर राजनीति
तमिलनाडु में ईडी अधिकारी के रिश्वत लेते गिरफ्तार होने के बाद राजनीति शुरू हो गई है। कांग्रेस ने जहां केंद्रीय एजेंसी को निशाना बनाया है तो भाजपा ने बचाव किया है। तमिलनाडु विधानसभा अध्यक्ष एम अप्पावु ने शनिवार को दावा किया कि केंद्रीय जांच एजेंसी से निकटता का दावा करते हुए एक व्यक्ति ने उन्हें तीन महीने तक धमकी दी।

कांग्रेस ने इस मुद्दे पर कहा है कि गिरफ्तार अधिकारी यदि निर्दोष थे तो उन्हें भागना नहीं चाहिए था। अधिकारी निर्दोष थे तो सामना करते। भाजपा के प्रदेश प्रमुख के अन्नामलाई ने कहा कि न तो यह पहला मामला है और न ही अंतिम। एक व्यक्ति की गलती के लिए पूरे विभाग को दोषी ठहराना गलत है।

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