कानपुर। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) के आत्मन (एडवांस्ड टेक्नोलाजीज फार एयर क्वालिटी आइ इंडिकेटर) उत्कृष्टता केंद्र (सेंटर आफ एक्सीलेंस) ने यूपी और बिहार के 815 विकास खंडों में वायु गुणवत्ता निगरानी उपकरणों की स्थापना की है।
इन उपकरणों में स्वदेशी सेंसर लगाए गए हैं जो वायु गुणवत्ता की पल-पल की निगरानी के साथ ही वायु प्रदूषण के कारणों की भी पहचान करने में मदद करेंगे। परियोजना के तहत दोनों राज्य के 1400 विकास खंड व निगरानी स्थलों पर उपकरणों की तैनाती की जाएगी।
जांच के लिए मोबाइल वैन का किया जा रहा उपयोग
लखनऊ और कानपुर में वायु गुणवत्ता की जांच के लिए मोबाइल वैन का भी प्रयोग किया जा रहा है। वायु गुणवत्ता निगरानी के लिए आत्मन उत्कृष्टता केंद्र ने कम लागत वाले स्वदेशी सेंसर उपकरण का प्रयोग किया है। यह आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग की मदद से वायु प्रदूषण से मानव स्वास्थ्य को होने वाले खतरों की पहचान कर सकेगा।
आइआइटी के कार्यवाहक निदेशक प्रोफेसर एस गणेश ने बताया कि आत्मन प्रोजेक्ट को ब्लूमबर्ग फिलैंथ्रोपीज, ओपन फिलैंथ्रोपी और क्लीन एयर फंड सहित विभिन्न कल्याणकारी संस्थाओं ने अपना सहयोग दिया है। इससे पीएम 2.5 के वायु प्रदूषण कारणों और स्थिति की सटीक पहचान व विश्लेषण संभव हो सकेगा।
एक्सीलेंस सेंटर बिहार के राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और यूपी के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के साथ मिलकर काम कर रहा है।
प्रदूषण के कारण और नुकसान की मिलेगी जानकारी
एक्सीलेंस सेंटर के प्रमुख व आइआइटी कानपुर के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. सच्चिदानंद त्रिपाठी ने बताया कि यूपी के 25 जिलों में 275 और बिहार के 38 जिलों में 540 स्वदेशी सेंसर वाले निगरानी उपकरण लगाए जा चुके हैं।
दोनों प्रदेश के सभी जिलों के प्रत्येक विकासखंड में इस परियोजना के तहत निगरानी उपकरण लगाए जाने हैं। इससे ऐसा नेटवर्क तैयार होगा जो वायु प्रदूषण के कारण और स्वास्थ्य को पहुंचने वाले नुकसान के बारे में जानकारी दे सकेगा।
आइआइटी के स्टार्टअप एटमास और एयरवेदर की ओर से तैयार सेंसर की कीमत एक से 1.25 लाख रुपये है। सेंसर का 90 प्रतिशत निर्माण स्थानीय संसाधनों से किया गया है।