नई दिल्ली । चुनाव आयोग ने समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए चुनाव प्रचार में सोशल मीडिया के जिम्मेदार और नैतिक उपयोग के लिए राजनीतिक दलों को निर्देश जारी किए हैं।
आयोग ने चुनावी प्रक्रिया की अखंडता को बनाए रखने की आवश्यकता पर बल दिया है। जानकारी को विकृत करने या गलत सूचना का प्रचार करने के लिए एआई आधारित उपकरणों के दुरुपयोग के खिलाफ पार्टियों को चेतावनी भी दी है।
चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों को गलत सूचना और डीप फेक के उपयोग पर चेताया है। राजनीतिक दलों को मौजूदा कानूनी प्रावधानों का ध्यान दिलाया गया है। इसमें सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 और सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम 2021, भारतीय दंड संहिता और दोहरे अधिनियमों की रूपरेखा अर्थात् जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और 1951 और आदर्श आचार संहिता के प्रावधान शामिल हैं।
आयोग ने कहा है कि मौजूदा कानूनी प्रावधानों के मद्देनजर अन्य निर्देशों के अलावा पार्टियों को विशेष रूप से कुछ सामग्री से परहेज करना चाहिए। इसमें डीप फेक ऑडियो/वीडियो को प्रकाशित और प्रसारित करना, स्पष्ट रूप से गलत, असत्य या भ्रामक प्रकृति की किसी भी गलत सूचना या जानकारी को प्रसारित करना, महिलाओं के प्रति अपमानजनक सामग्री पोस्ट करना, अभियानों में बच्चों का उपयोग करने से बचना, हिंसा या जानवरों को नुकसान पहुंचाने का चित्रण करने जैसी सामग्री शामिल है।
आयोग ने कहा कि पार्टियों को चाहिए कि वे संज्ञान में लाने के तीन घंटे के भीतर सामग्री को तुरंत हटाएं। अपनी पार्टी में जिम्मेदार व्यक्ति को चेतावनी दें, संबंधित प्लेटफार्मों पर गैरकानूनी जानकारी और नकली उपयोगकर्ता खातों की रिपोर्ट करें और लगातार मुद्दों को शिकायत अपीलीय समिति तक पहुंचायें।