नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने रियल एस्टेट कंपनी सुपरटेक और उसके प्रमोटरों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग की जांच तेज कर दी है। इसी कड़ी में उसने गुरुग्राम में रियल्टी कंपनी डीएलएफ के परिसरों की तलाशी ली है।
ईडी ने कुछ दस्तावेजों को किया बरामद
न्यूज एजेंसी पीटीआई ने शनिवार को आधिकारिक सूत्रों का हवाला देते हुए बताया कि ईडी ने पिछले कुछ दिनों में की गई कार्रवाई के दौरान कुछ दस्तावेज बरामद किए हैं। यह कार्रवाई सुपरटेक के खिलाफ ईडी की जांच से जुड़ी है। पीटीआई ने इस मामले में डीएलएफ को मेल भेजा था, जिसका जवाब खबर लिखे जाने तक नहीं मिल पाया।
जून में सुपरटेक के प्रमोटर को किया गया गिरफ्तार
ईडी ने इस मामले में जून में सुपरटेक के प्रमोटर आर के यानी राम किशोर अरोड़ा को गिरफ्तार किया था। तब यह आरोप लगाया गया था कि अरोड़ा समूह का मुख्य कंट्रोलर था, जिसने निवेशकों और घर खरीदारों के करोड़ों फंड को विभिन्न मुखौटा कंपनियों में ‘डायवर्ट’ करने का फैसला किया था।
धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की आपराधिक धाराओं के तहत दायर धन शोधन का मामला, दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के पुलिस विभागों द्वारा सुपरटेक लिमिटेड और इसकी समूह कंपनियों के खिलाफ 670 घर खरीदारों से 164 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के आरोपों पर दर्ज की गई 26 प्राथमिकियों से उपजा है।
ईडी ने कहा था कि सुपरटेक समूह के माध्यम से सैकड़ों करोड़ रुपये की भारी मात्रा में धन की हेराफेरी की गई। कंपनी ग्राहकों को समय पर फ्लैटों का कब्जा प्रदान करने के लिए अपने सहमत दायित्वों का पालन करने में विफल रहे।
ईडी ने दावा किया कि सुपरटेक ग्रुप ने 2013-14 में गुरुग्राम में जमीन खरीदने के लिए ग्राहकों और घर खरीदारों से प्राप्त 440 करोड़ रुपये अत्यधिक ऊंची कीमतों पर निकाल लिए, जबकि नोएडा में उनकी पहले से वादा की गई परियोजनाएं पूरी नहीं हुईं।
इस नई अधिग्रहित भूमि पर एक नई परियोजना शुरू की गई और सैकड़ों घर खरीदारों से अग्रिम राशि एकत्र की गई और बैंकों/एनबीएफसी से ऋण लिया गया, जो एनपीए बन गया और बैंकों द्वारा ‘धोखाधड़ी’ घोषित कर दिया गया।
सुपरटेक लिमिटेड की स्थापना कब हुई?
सुपरटेक लिमिटेड की स्थापना 1988 में हुई थी। उसने अब तक लगभग 80,000 अपार्टमेंट वितरित किए हैं, जिसमें अधिकांश दिल्ली-एनसीआर में हैं। कंपनी वर्तमान में एनसीआर में लगभग 25 परियोजनाएं विकसित कर रही है। इसे अभी 20,000 से ज्यादा ग्राहकों को पजेशन देना बाकी है। कंपनी पिछले साल से संकट में है।
अगस्त में लगा झटका
अगस्त 2022 में, सुपरटेक को एक बड़ा झटका तब लगा, जब नोएडा एक्सप्रेसवे पर स्थित उसके लगभग 100 मीटर ऊंचे ट्विन टावर्स, एपेक्स और सेयेन, को सुप्रीम कोर्ट के आदेश से ध्वस्त कर दिया गया। एमराल्ड कोर्ट परिसर के भीतर उनके निर्माण को मानदंडों का उल्लंघन पाया गया था। दोनों टावरों को ध्वस्त करने के लिए 3,700 किलोग्राम से अधिक विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया था।
अरोड़ा ने तब कहा था कि नोएडा में अपने ट्विन टावरों के विध्वंस के कारण कंपनी को निर्माण और ब्याज लागत सहित लगभग 500 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
कंपनी को पिछले साल एक और झटका तब लगा, जब नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) की दिल्ली पीठ ने मार्च में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया द्वारा 432 करोड़ रुपये की बकाया राशि का भुगतान न करने को लेकर दायर याचिका पर सुपरटेक लिमिटेड के खिलाफ दिवालिया कार्यवाही शुरू करने का आदेश दिया था। हालांकि, इसे अरोड़ा ने एनसीएलएटी के समक्ष चुनौती दी थी।