Ebrahim Raisi और कई ईरानी अधिकारियों को लो जा रहा हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त

नई दिल्ली। ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की हेलीकॉप्टर क्रैश में मौत होने की बात सामने आई है। रविवार को इब्राहिम रईसी और कई ईरानी अधिकारियों को लो जा रहा हेलीकॉप्टर एक ग्रामीण इलाके में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। हालांकि, कोहरे और खराब मौसम के कारण हेलीकॉप्टर का पता लगाना काफी मुश्किल भरा रहा, जिसे 17 घंटे की खोज के बाद जला हुआ पाया गया।

ईरानी अधिकारियों की मानें तो हेलीकॉप्टर पूरी तरह से जल चुका है और उसमें सवार किसी व्यक्ति के जीवित होने की उम्मीद नहीं है। ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी अत्याचार के कई आरोपों से घिरे रहे हैं और उनका अति-रूढ़िवादी इतिहास रहा है।

रईसी को ईरान का संभावित भावी सर्वोच्च नेता माना जाता था, जिन्हें तेहरान का कसाई तक कहा जाता था। आइए, इब्राहिम रईसी के बारे में जानें….

कौन हैं इब्राहिम रईसी
इब्राहिम रईसी ने 2021 में एक चुनाव के बाद ईरान के राष्ट्रपति का पद संभाला था। उनके राष्ट्रपति बनने का पूरे देश में व्यापक रूप से विरोध हुआ था, क्योंकि उन्हें रूढ़िवादी मानसिकता का पक्षकार माना जाता था और चुनावों में धांधली होने की बात कही गई थी। हालांकि, अंत में रईसी को विजयी माना गया, जिसमें केवल 62 फीसद वोट ही डाले गए थे। यह चार दशकों में ईरानी चुनाव के लिए सबसे कम मतदान था।
रईसी को ईरान के सर्वोच्च नेता और सबसे शक्तिशाली धार्मिक गुरू अली खामेनेई का राजनीतिक सहयोगी और उनका संभावित उत्तराधिकारी भी माना जाता था।
निर्वाचित होने के बाद से रईसी ने गंभीर आर्थिक संकट और इजरायल के साथ देश के संघर्ष में ऐतिहासिक वृद्धि के दौरान शासन करते हुए, मध्य पूर्व में ईरान के प्रभाव का विस्तार करने के लिए काम किया। इस कारण इजरायल और ईरान में जंग जैसे हालात भी हो गए थे। हालांकि, दोनों तरफ से कई बार मिसाइल छोड़े जाने के बाद अब हालात थोड़े स्थिर हैं।

हिजाब कानून पर हुआ था बड़ा विवाद
रईसी के शासनकाल में ही ईरान में हिजाब विवाद भी गहराया था। ईरान के ‘हिजाब और पवित्रता कानून’ का जबरन पालन करवाना भी रईसी प्रशासन को भारी बड़ा था, जिसका कड़ा विरोध हुआ।

इसी का विरोध करते हुए वहां कि महिलाएं महसा अमिनी और अर्मिता गेरावंद की मौत हो गई थी, जिसके बाद सरकार का विरोध तेज हो गया और लोगों ने हिजाब पहनने से मना करते हुए बाल तक काटने शुरू कर दिए। दोनों महिलाओं की कथित तौर पर हिजाब कानून का उल्लंघन करने के बाद हिरासत के दौरान पुलिस की बर्बरता के चलते मृत्यु हो गई थी।

अमेरिका ने लगा रखा था बैन
अमेरिका के ट्रेजरी विभाग ने भी रईसी पर साल 2019 से बैन लगा रखा था। दरअसल, ईरान में रईसी कार्यकाल में ही बच्चों को फांसी, प्रमुख मानवाधिकारों वकीलों को कैद की सजा दी गई, जिसके चलते अमेरिका ने रईसी पर प्रतिबंध भी लगा दिया था।

‘तेहरान का कसाई’ नाम से जाने जाते थे रईसी
साल 1988 में राजनीतिक विरोधियों को खत्म करने के लिए ईरान में 4 सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया था। इन 4 सदस्यों में इब्राहिम रईसी भी शामिल थे। इस कमेटी को ईरान में अनौपचारिक रूप से ‘देथ कमेटी’ भी कहा जाता है। इस समयअवधि में राजनीतिक कैदियों को फांसी देने का सिलसिला चला, जिसमें एक अनुमान के मुताबिक करीब 3000 से ज्यादा राजनीतिक विरोधियों को फांसी दी गई। मारे गए लोगों में अधिकांश लोग ईरान के पीपुल्स मुजाहिदीन संगठन के समर्थक थे। इसी कारण रईसी को ‘तेहरान का कसाई’ कहा जाता था।

रईसी का परिवार
रायसी का विवाह इमाम अहमद अलामोल्होदा की बेटी जमीलेह अलामोल्होदा से हुआ था। वह तेहरान के शाहिद बेहश्ती विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर और विश्वविद्यालय के साइंस एंड टेक्नोलॉजी फंडामेंटल स्टडीज इंटीट्यूट की अध्यक्ष हैं। रईसी की दो बेटियां और दो पोते-पोतियां हैं।

इस्लामी कट्टर थे रईसी
63 वर्षीय रईसी एक धार्मिक विद्वान थे, जिन्होंने 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद सरकार में पैठ बना ली थी। इस्लामी कट्टर इब्राहिम रईसी ने देश की राजशाही को उखाड़ फेंका और इस्लामी या शरिया कानून पर आधारित एक नई राजनीतिक व्यवस्था स्थापित की।

इस क्रांति के बाद से महिलाओं को उच्च शिक्षा संस्थानों में बड़े पैमाने पर प्रतिबंधित कर दिया। लड़कियों के लिए शादी की उम्र घटाकर 9 साल कर दी गई (2002 में इसे बढ़ाकर 13 साल कर दिया गया) और हजारों राजनीतिक कैदियों को फांसी दे दी गई।

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