गोण्डा : जिले भर में मेडीकल स्टोर संचालकों द्वारा नियम विरुद्ध तरीके से मेडिकल स्टोरों का संचालन किया जा रहा है और लोगों को डॉक्टरों के पर्चे के बगैर दवाइयां बेची जा रही है।सूत्र बता रहे है कि कुछ हालात ऐसे है कि जिले के कई मेडीकल स्टोर तो मेडीकल की आड़ में नकली और नशीली दवाइयां भी बेच रहे है,जिनसे नशा करने वाले युवा आसानी से नशील वाइयां खरीद लेते है और खुलेआम नशा करके नशे के आदी बनते जा रहे है।
शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों में संचालित किए जा रहे दो सौ से अधिक मेडिकल स्टोरों को संचालित करने वाले दवा कारोबारियों में से कई के पास तो मेडिकल स्टोर का रजिस्ट्रेशन तक नहीं है जिनके पास रजिस्ट्रेशन है उनके पास बी फार्मा डिग्री या डिग्री धारी कर्मचारी नहीं है और जिनके पास रजिस्ट्रेशन और बी फार्मा डिग्री है उनमें से ज्यादातर मेडिकल संचालक नियम विरुद्ध तरीके से बिना डॉक्टर के पर्चे के लोगों को खुलेआम दवाइयां बेच रहे हैं, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी कार्रवाई के नाम पर चुप्पी साधे हुए है।जिससे अवैध तरीके से दवा बेचने का कारोबार कर रहे मेडिकल संचालकों के हौसले बुलंद है।
तहसील मुख्यालयों पर चल रहे अवैध मेडिकल स्टोर
जिला मुख्यालय से लेकर तहसील और जिले भर के हर छोटे-ब़ड़े कस्बो में मेडिकल स्टोरों की भरमार है।शहर में संचालित मेडिकल स्टोर नियमों का पालन न करते हुए डॉक्टरों के पर्चे के बिना लोगों को दवाइयां दे रहे हैं वहीं ग्रामीण इलाकों में मेडिकल स्टोर संचालित करने वाले ज्यादातर लोगों के पास बीफार्मा की डिग्री और रजिस्ट्रेशन तक नहीं है।जिसकी बानगी जिले के कई कस्बों में आर्य नगर, कौड़िया बाजार,खरगूपुर,कटरा बजार, कर्नलगंज, परसपुर,तरबगंज,बालपुर,बेलसर,नवाबगंज,जमुनिया बाग,
खोराहसा,धानेपुर,बाबागंज,बग्गी रोड,कहोबा,मोतीगंज बाजार,राजगढ़,विद्यानगर,वीरेपुर,झिलाही, मनकापुर, कुड़ासन,दतौली,लखपत नगर,मसकनवा, छपिया,बभनान, डुमरियाडीह,वजीरगंज,कटरा (लकड़ मंडी )सहित जिले के अन्य कस्बो में संचालित मेडिकल स्टोरों पर बडी आसानी से मिल जाएगी जहां गिने-चुने मेडिकल स्टोर संचालकों के पास मेडिकल के रजिस्ट्रेशन और बीफार्मा की डिग्री है, बाकि के मेडीकल स्टोर झोलाछाप डॉक्टरों और ड्रग इंस्पेक्टर की कृपा से बिना कोई औपचारिकता पूरी किए बगैर संचालित किए जा रहे है।जिनकी जानकारी जिम्मेदार अधिकारियों को भी है लेकिन वह कभी कोई कार्रवाई नहीं करते है।
एक लाइसेंस पर चल रही हैं कई दुकानें:सूत्र
जिले में अधिकांश मेडिकल स्टोर दूसरे लोगों की डिग्री से संचालित किए जा रहे है।मेडिकल स्टोर संचालकों द्वारा बी फार्मा डिग्री धारी व्यक्ति को मेडिकल पर रखने की बजाए तीन से चार हजार रुपए में कम पढ़े लिखे युवकों को मेडिकल स्टोरों पर लगा रखा हैं जिन्हें दवाइयों की भी कोई जानकारी नहीं होती हैं पर वह मेडीकल स्टोर संचालक के बताए अनुसार मरीजों को दवाइयां दे-देकर दो से तीन महीने में ट्रेंड हो जाते है और मेडिकल स्टोरों का संचालन करते है।जिले में अधिकतर दुकानें एक-दो लोगों की हैं जो एक ही लाइसेंस पर अलग-अलग नाम से संचालित की जा रही हैं।नियमानुसार एक लाइसेंस पर सिर्फ एक दुकान का संचालन किया जाता सकता हैं।
ड्रग इंस्पेक्टर सिर्फ खानापूर्ति के लिए करती है कार्यवाही
जिले भर में दो सौ से अधिक मेडिकल स्टोर संचालित किए जा रहे है जो वैध है या अवैध इसकी ड्रग इंस्पेक्टर द्वारा कभी छान-बीन तक नहीं की जाती है।सूत्र बता रहे है कि छापेमारी से पहले अवैध मेडिकल स्टोर चलाने वालों को इसकी सूचना मिल जाती है और मेडिकल स्टोर चलाने वाले अपनी दुकान बंद कर कर रफू चक्कर हो जाते हैं। वहीं अगर कुछ मेडिकल स्टोर जो वैध है वहाँ सिर्फ फोटो खिंचवा कर जांच के नाम पर खाना पूर्ति कर दी जाती है।
इस वजह से जिले में अवैध मेडिकल स्टोरों और नकली व नशीली दवाइयों का कारोबार बड़ी तेजी के साथ फलफूल रहा हैं।