बरेली। जमीन की चकबंदी के दौरान रकबे में हेराफेरी रोकने के लिए जिले में पायलट प्रोजेक्ट लागू किया गया। इसके तहत चकबंदी से पहले 10 गांवों में ड्रोन से सर्वे कर भौगोलिक स्थिति और जमीन के क्षेत्रफल की वास्तविक स्थिति का पता किया जाएगा। दस में से दो गांव में सर्वे सर्वे पूरा हो चुका है। शासन ने ड्रोन सर्वे की जिम्मेदारी एक प्राइवेट एजेंसी को दी है। बरेली के साथ मंडल के शाहजहांपुर में भी यह पायलट प्रोजेक्ट लागू किया गया है।
दावा किया जा रहा है कि पायलट प्रोजेक्ट सफल रहा तो किसानों की मुश्किलें दूर हो जाएंगी। सर्वे से जमीन की भौगोलिक स्थिति और क्षेत्रफल की सही जानकारी सामने आने के बाद उसी आधार पर चकबंदी होगी और बाद में किसानों की शिकायतों और मुकदमों का झंझट खत्म हो जाएगा। अब तक चकबंदी में रकबे में हेराफेरी कीमती जमीन के बजाय साधारण या बंजर जमीन दे दिए जाने की किसानों की शिकायतें आम हैं। चकबंदी कोर्ट में भी ज्यादातर इसी तरह के मामले आते हैं। अलग-अलग चकबंदी न्यायालयों में ऐसे सैकड़ों मामले लंबित हैं।
ड्रोन सर्वे के लिए मीरगंज तहसील के अंबरपुर, बिहारीपुर, जैतपुरा, गोरा लोकनाथपुर, गोरा लोकनाथपुर एहतमाली, बफरी अब्दुल नवींपुर, ठिरिया बुजुर्ग, करौरा भगवंतपुर, बहेड़ी के पनवड़िया, फरीदपुर के गोविंदपुर गांवों को चिह्नित किया गया है। करौरा भगवंतपुर और ठिरिया बुजुर्ग में सर्वे पूरा हो चुका है।
दस गांवों में चकबंदी से पहले भूचित्र संशोधन किया जा रहा है। इस सर्वे के बाद चकबंदी होने से रकबे के कम-ज्यादा होने की गुंजाइश न के बराबर रह जाएगी। यह सर्वे कारगर रहा तो चकबंदी न्यायालयों में मुकदमे काफी कम हो जाएंगे और चकबंदी में तेजी आएगी