पेयजल योजना: ये वरदान है या अभिशाप…

लखीमपुर। इन दिनों धौरहरावासी असमंजस में हैं। उन्हें समझ नहीं आ रहा कि नगर पंचायत क्षेत्र में शुद्ध पेयजल परियोजना उनके लिए वरदान है या अभिशाप? एक तरफ योजना का काम पूरा होने के बाद सुलभ होने जा रहे पीने के साफ पानी की उम्मीद से उपजी खुशी है।

दूसरी तरफ इस उम्मीद को पूरा करने के लिए लगातार खोदी जा रही सड़कों से उपजा दर्द है। यह दर्द फिलहाल लोगों को बिलबिला रहा है। शुद्ध पेयजल योजना की लागत 25 करोड़ है। इसमें नगर क्षेत्र के पांच किलोमीटर परिधि में 58 किलोमीटर पाइप लाइन डाली जा रही है।

इसके लिए नगर क्षेत्र की हर सड़क, हर गली खोदी जा रही है। इसी के साथ तीन ओवरहेड टैंक और छह ट्यूबवेल का काम भी जारी है। इस काम में सभी सड़कों और गलियों की शामत आना तय है। जल निगम को इससे सरोकार नहीं कि जिस सड़क को वह खोद रहे हैं, वह नई है अथवा पुरानी। ठेकेदारों को सिर्फ अपना काम पूरा करना है।

25 प्रतिशत से ज्यादा सड़कों को खोदा जा चुका

अब तक 25 प्रतिशत से ज्यादा सड़कों को खोदा जा चुका है। पाइपलाइन डालने के बाद सड़कों को दुरुस्त करने के नाम पर खानापूरी की जा रही है। तमाम सड़कें इसके कारण खराब हो चुकी हैं। कहीं पर धूल का गुबार है तो कहीं पर ऊबड़ खाबड़ गड्ढे। पक्का है कि बरसात होते ही इन सड़कों पर पैदल चलना भी दूभर होगा। वाहनों की तो बिसात ही क्या। नगर पंचायत प्रशासन इसमें कोई रुचि नहीं ले रहा।

ईओ दिनेश शुक्ल फोन तक नहीं उठाते। जल निगम के जेई मनोज कुमार कहते हैं कि कनेक्शन देने में समय लगेगा। पाइपलाइन डालने के बाद सड़कें दुरुस्त भी की जा रही हैं। बहरहाल नगर क्षेत्र के लोग पीने का साफ पानी मिलने की उम्मीद से जहां खुश हैं, वहीं यह दुख भी कि यह उपलब्धि उन्हें अच्छी खासी सड़कों को गंवाने की शर्त पर नसीब होगी।

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