ओडिशा के कलाम आइलैंड पर आज यानी 7 नवंबर 2023 को DRDO ने नई और घातक मिसाइल का सफल परीक्षण किया है. केंद्र सरकार ने चीन और पाकिस्तान की सीमा पर प्रलय मिसाइल (Pralay Missile) की तैनाती को ग्रीन सिग्नल दे दिया है. मिसाइल का परीक्षण सुबह 9.50 बजे किया गया.
मिसाइल के परीक्षण के दौरान उसकी गति, रेंज और ट्रैकिंग इंस्ट्रूमेंट्स की जांच की गई. प्रलय मिसाइल 350-500 किलोमीटर रेंज वाली कम दूरी की सतह से सतह पर मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल है. इस मिसाइल में 500 से 1000 किलोग्राम तक के हथियार लगाए जा सकते हैं.
प्रलय मिसाइल की तैनाती लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LOC) और लाइन ऑफ कंट्रोल (LAC) पर की जाएगी. यह मिसाइल चीन के डॉन्ग फेंग 12 और रूस के इस्कंदर मिसाइल के टक्कर की है. रूस ने इस्कंदर मिसाइल का इस्तेमाल यूक्रेन युद्ध में किया था. पाकिस्तान के पास इस तरह की टैक्टिकल मिसाइल है.
क्या है सरकार की तैयारी?
केंद्र सरकार ने पाकिस्तान और चीन की सीमा पर 120 विध्वंसक मिसाइल Pralay की तैनाती की हरी झंडी दे दी है. अब इन दोनों देशों की हिम्मत नहीं होगी कि भारतीय जमीन की तरफ बुरी नजर डाल सकें. छोटी दूरी की इस बैलिस्टिक मिसाइल की गति ही इसे सबसे ज्यादा मारक बनाती है.
इस मिसाइल की तैनाती से सीमाएं ज्यादा सुरक्षित हो जाएंगी. यानी सीमा के पास दुश्मन के किसी भी अड्डे को खत्म करने के लिए यह सबसे उपयुक्त हथियार है. पिछले साल दिसंबर महीने में इस मिसाइल का 24 घंटे में दो बार सफल परीक्षण किया गया था.
अगर LAC या LOC के पास से इसे दागा जाए तो चीन या पाकिस्तान के बंकरों, तोपों, मिलिट्री बेस या उनके हथियार डिपो को खत्म करने में ज्यादा समय नहीं लगेगा.प्रलय मिसाइल की एक्यूरेसी और गति ही इसे सबसे ज्यादा घातक बनाती है. यह मिसाइल सतह से सतह पर मार करने के लिए बनाई गई है.
प्रहार, पृथ्वी-2 और 3 की तकनीक इसमें
5 टन वजनी यह मिसाइल अपनी नाक पर 500 से 1000 kg वजन का पारंपरिक हथियार ले जा सकती है. इस मिसाइल को बनाने में तीन मिसाइलों की तकनीक का इस्तेमाल किया गया है. ये मिसाइलें हैं- प्रहार, पृथ्वी-2 और पृथ्वी-3. माना जा रहा है कि प्रलय में रात में भी हमला करने की तकनीक लगाई गई है. यानी चीन के ठिकानों पर रात में भी हमला संभव है. यानी इसमें इंफ्रारेड या थर्मल स्कैनर लगा होगा जो रात में हमला करने में मदद करता है.
छह तरह के हथियार लगा सकते हैं
प्रलय मिसाइल इनर्शियल गाइंडेंस सिस्टम पर चलती है. सॉलिड प्रोपेलेंट फ्यूल है. यानी इस मिसाइल के वॉरहेड में हाई एक्सप्लोसिव, पेनेट्रेशन, क्लस्टर म्यूनिशन, फ्रैगमेंटेशन, थर्मोबेरिक और केमिकल वेपन लगा सकते हैं. लॉन्चिंग के लिए 8X8 टाटा ट्रांसपोर्टर इरेक्टर लॉन्चर इस्तेमाल होता है. प्रलय की टारगेट ध्वस्त करने की सटीकता 10 मीटर यानी 33 फीट है. यानी टारगेट से 33 फीट के दायरे में यह मिसाइल गिरती है, तो भी उतना ही नुकसान करेगी, जितना सटीक निशाने पर गिरती तो करती. यानी जितना इलाका नष्ट करना है, उतना ही बर्बाद होगा.
रफ्तार के आगे फेल होंगे दुश्मन
प्रलय मिसाइल की गति का खुलासा नहीं किया गया है, लेकिन टेकऑफ के समय इसकी गति 2000 किलोमीटर प्रतिघंटा हो सकती है. लेकिन हवा से टारगेट पर गिरते समय इसकी गति ज्यादा हो सकती है. क्योंकि उस समय गुरुत्वाकर्षण काम करने लगता है. अगर पड़ोसी देशों की बात करें तो चीन के पास इस लेवल की DF-12 मिसाइल है. जबकि, पाकिस्तान के पास गजनवी, एम-11 (चीन से मिली) और शाहीन मिसाइल है.