उन्नाव। जिले में 129 एमबीबीएस डॉक्टरों पर 31 लाख लोगों की सेहत बनाए रखने की जिम्मेदारी है। शासन स्तर से 233 डॉक्टरों के पद स्वीकृत हैं, लेकिन 104 पद रिक्त चल रहे हैं। डॉक्टरों पर अधिक भार होने से लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ कम मिल रहा है।
जिले में जिला महिला और पुरुष अस्पताल, 16 सीएचसी, 42 पीएचसी, दो 100 शैया अस्पताल हैं। सरकार स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार लाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, लेकिन मंशा के मुताबिक इसका लाभ जनता को नहीं मिल रहा है। स्वास्थ्य सुविधाओं में सबसे अधिक कमी चिकित्सकों की है। आंकड़ों के मुताबिक, जिले में 31 लाख की आबादी के बीच 129 डॉक्टर हैं। मानकों के मुताबिक, पांच हजार की आबादी पर एक डॉक्टर का होना चाहिए। लेकिन यहां 24031 लोगों पर एक डॉक्टर है।
पांच हजार मरीजों को दिलाई टीबी से मुक्ति
जिला क्षय रोग नियंत्रण कार्यालय में तैनात डॉ. मनीष मिश्रा ने बताया कि पांच साल से वह जिला क्षय रोग नियंत्रण कार्यालय में तैनात हैं। यहां वह टीबी मरीजों की जांच और इलाज करते हैं। इसमें गंभीर मरीज भी आते हैं। बताया कि निजी अस्पतालों से वह मरीज को लाकर क्षय नियंत्रण कार्यालय में निशुल्क इलाज करते हैं। अभी तक उन्होंने पांच हजार से अधिक टीबी मरीजों को रोग मुक्त किया।
इलाज कर लोगों को कर रहे स्वस्थ
जिला अस्पताल में तैनात डॉ. शोभित अग्निहोत्री मरीजों के सीने में होने वाली बीमारियों का इलाज करते हैं। निस्वार्थ भाव से मरीजों का उपचार कर रहें हैं। उन्होंने बताया कि निजी अस्पताल में लाखों रुपये खर्च करने के बाद मरीज उनके पास पहुंचते हैं। कई ऐसे भी होते हैं जो आर्थिक रूप से बेहद कमजोर होते हैं। बताया कि अभी तक उन्होंने गंभीर 4500 से अधिक मरीजों को स्वस्थ किया है।
डॉक्टरों की कमी के बाद भी मरीजों का समुचित इलाज किया जा रहा है। जिला अस्पताल में एक बेड पर दो-दो मरीज भर्ती कर उनका इलाज किया जा रहा है। इसके अलावा सभी डॉक्टर समय से मरीजों को देख रहे हैं। जल्द ही डॉक्टरों की कमी पूरी हो इसका पूरा प्रयास किया जा रहा है।
डॉ. सत्यप्रकाश, सीएमओ