धर्मेंद्र को आज भी इस बात की टीस है कि देवदास नहीं बन सके

नई दिल्ली। धर्मेंद्र ने अपने साठ साल से ज्यादा लम्बे करियर में सैकड़ों फिल्मों में काम किया है और अलग-अलग तरह के किरदार निभाये हैं। कभी पुलिस इंस्पेक्टर बने तो कभी लोफर। आशिक बनकर पानी की टंकी पर भी चढ़े। महबूबा के गम में नशेड़ी भी बने।

मगर, एक किरदार ऐसा है, जिसे निभा ना पाने का मलाल धर्मेंद्र  आज भी करते हैं। ये किरदार है देवदास। शायद किस्मत को ही ये मंजूर ना था कि धर्मेंद्र पर्दे पर देवदास बनकर उतरें। इसीलिए, शूटिंग शुरू होने के बाद भी  फिल्म पूरी नहीं हो सकी। 

धर्मेंद्र को देवदास बनाने वाले थे गुलजार  

बसंती की मोहब्बत के नशे में चूर पानी की टंकी पर चढ़े वीरू को इश्क में बिखरते देवदास के रूप में देखना उनके फैंस के लिए भी दिलचस्प अनुभव होता।

देवदास फिल्ममेकर्स का पसंदीदा विषय रहा है और सिनेमा की शुरुआत से ही शरतचंद्र चट्टोपाध्याय के इस नॉवल पर बंगाली, हिंदी, तमिल और तेलुगु भाषाओं में फिल्में बनती रही हैं, मगर सबसे ज्यादा चर्चा जिस फिल्म की रही वो दिलीप कुमार की देवदास है।

एक देवदास बनाने की कोशिश दिग्गज लेखक और निर्देशक गुलजार ने भी की थी। अस्सी के दौर में गुलजार ने देवदास शुरू की थी। फिल्म में हेमा मालिनी और शर्मिला टैगोर चंद्रमुखी और पारो के किरदारों में थीं।

इन दोनों ही एक्ट्रेसेज के साथ धर्मेंद्र हिट फिल्में कर चुके थे। इस फिल्म की शूटिंग की कुछ तस्वीरें आज भी सोशल मीडिया में साझा होती रहती हैं, जिनमें तीनों कलाकारों को अपने किरदारों में देखा जा सकता है। मगर, फिल्म बन नहीं सकी और इस बात का मलाल धर्मेंद्र कई बार जाहिर कर चुके हैं। 

बार-बार उठती है देवदास ना बनने की कसक

मंगलवार को उन्होंने अपनी एक पुरानी तस्वीर शेयर करके लिखा- देवदास… एक किरदार… हसरत ही रह गया। 

2018 में ऐसी ही एक थ्रोबैक फोटो के साथ धर्मेंद्र का कैप्शन बताता है कि देवदास का किरदार किस कदर उनके जहन में बैठा हुआ है और कभी यादों में गोते लगाते ही इसकी टीस बाहर आ जाती है। फोटो में धर्मेंद्र एक बोतल पकड़े हुए हैं और इसके साथ उन्होंने लिखा- नहीं तू तू मेरी पारो नहीं… देवदास का किरदार निभाना मेरा सपना था। 

धर्मेंद्र, दिलीप कुमार से बेहद प्रभावित थे। कई इंटरव्यूज में वो इस बात को स्वीकार करते आये हैं कि दिलीप कुमार की फिल्मों ने ही उन्हें मायानगरी की तरफ कदम बढ़ाने के लिए प्रेरित किया। उनकी फिल्मों के सींस को शीशे में देखकर कॉपी करना अदाकारी के सफर की ओर उनका पहला कदम था। दिलीप कुमार की देवदास हिंदी सिनेमा के हीमैन की पसंदीदा फिल्म रही है।

क्यों नहीं बन सकी गुलजार की देवदास?

धर्मेंद्र के साथ देवदास क्यों बंद हो गई, इस पर गुलजार ने तो कभी कुछ नहीं कहा, लेकिन राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने कुछ साल पहले गुलजार के हवाले से इसकी वजह बताई थी।

2021 में मुंबई में हुए टाइम्स लिट-फेस्ट में निर्देशक राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने बताया था कि वो अपनी पहली फिल्म देवदास पर बनाना चाहते थे और इसे गुलजार साहब से लिखवाना चाहते थे। इसी क्रम में मेहरा ने धर्मेंद्र वाली देवदास के बंद होने की वजह का भी खुलासा किया। 

राकेश के मुताबिक, जब वो अपनी फिल्म का प्रस्ताव लेकर गुलजार साहब के पास गये तो उन्होंने कहा- ”मैंने धर्मेंद्र और हेमा मालिनी के साथ देवदास बनाना शुरू किया था और ये 10 दिनों में ही बंद हो गई। मैंने महसूस किया कि इस फिल्म को बनाना आसान नहीं है और वो मेरे लिए नहीं थी।”

कब आई देवदास पहल पहली फिल्म?

देवदास उपन्यास पर पहली फिल्म 1928 में नरेश मित्रा ने बनाई थी, जो साइलेंट फिल्म थी। इस फिल्म में उन्होंने देवदास की भूमिका निभाने के साथ सिनेमैटोग्राफी भी की थी। तारकबाला पारो और पारूबाला चंद्रमुखी के किरदार में थीं।

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