मंदसौर। धन के देवता कुबेर की पूजा का खास महत्व होता है। मंदसौर के खिलचीपुर में प्राचीन कुबेर मंदिर स्थित है। शिवलिंग के समीप पश्चिम मुखी कुबेर प्रतिमा केदारनाथ। के बाद मंदसौर में ही है। मंदसौर के खिलचीपुर में पश्चिम मुखी कुबेर प्रतिमा का मंदिर करीब डेढ़ हजार साल पुराना है। इस मंदिर के कभी पट बंद नहीं होते हैं।
भक्तो की उमड़ी भीड़
मंदसौर के खिलचीपुर में पश्चिम मुखी कुबेर प्रतिमा का मंदिर करीब डेढ़ हजार साल पुराना है। इस मंदिर के कभी पट बंद नहीं होते हैं। इस मंदिर में धनतेरस पर ख़ास पूजा होती है, जिसके लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है।
तीन फीट दरवाजे की ऊंचाई
मंदिर की बनावट ऐसी है कि हर भक्त को मंदिर में सिर झुकाकर प्रवेश करना होता है। मंदिर में प्रवेश के प्राचीन दरवाजे की ऊंचाई तीन फीट के लगभग है। ऐसे में एक बार में एक ही भक्त प्रवेश कर पाता है। हालांकि आज गर्भगृह में प्रवेश बंद किया हुआ है।
कुबेर की पूजा का खास महत्व
धनतेरस के दिन यहां दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ रहा है। मंदिर के गर्भगृह में स्थित गुप्तकालीन प्रतिमा के दर्शन के लिए श्रद्धालु एक दिन पहले से ही कतार में लगे हुए है तो कई भक्त सुबह से लाइन में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं।
होगी धन की बारिश
केवल मंदसौर नहीं बल्कि आसपास के जिलों के अलावा पड़ोसी राज्यों से भी लोग यहां धन के देवता की विशेष पूजा-अर्चना करते करने आते हैं। धनतेरस पर यहां धन के देवता कुबेर की पूजा की जा रही है। मध्य प्रदेश के मंदसौर के खिलचीपुर के समीप स्थित धन के देवता कुबेर का यह गुप्तकालीन मंदिर है।
धन के देवता कुबेर की पूजा का खास महत्व
शिव और कुबेर की प्रतिमाओं वाले इस चमत्कारी मंदिर में धनतेरस पर होने वाली विशेष पूजा और हवंन के लिए हजारों श्रद्धालु सुबह तड़के से ही यहां जुट जाते हैं। माना जाता है कि यहां धनतेरस पर कुबेर प्रतिमा के दर्शन करने से ही श्रद्धालुओं की समस्त मनोकमनाएं पूर्ण होती हैं। यह विश्व का एकमात्र अनोखा मंदिर है, जिसमें कुबेर के साथ-साथ शिव प्रतिमा भी विराजित है। कहा जाता है कि यह चमत्कारी मंदिर यहां बनाया नहीं गया बल्कि उड़ कर आया है क्योकि इसकी नींव नहीं है। माना जाता है कि यहां से मिट्टी लेकर तिजोरी में रखने पर वह धन में परिवर्तित हो जाती है और कुबेर की कृपा बनी रहती है।