जौनपुर व मछलीशहर में टिकट निर्धारण से लेकर घोषित प्रत्याशियों की जीत के लिए पार्टी के शीर्ष नेताओं द्वारा की गई सारी कसरत धरी की धरी रह गई। जौनपुर सीट तो भाजपा नेतृत्व के लिए इस कदर नाक का बाल बन गई थी कि इसके लिए भाजपा के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह तक को हस्तक्षेप करना पड़ा। बावजूद इसके इस सीट से सपा प्रत्याशी बाबू सिंह कुशवाहा ने बाजी मार ली।जौनपुर सीट से कद्दावर कांग्रेसी नेता तथा महाराष्ट्र सरकार में गृह राज्यमंत्री का दायित्व संभाल चुके कृपा शंकर सिंह को पार्टी ने उतारा उसी दिन से उनकी जीत को लेकर पार्टी के अंदरखाने में आशंका के बादल उठने शुरू हो चुके थे। इस बीच रंगदारी तथा अपहरण के एक मामले में जेल में बंद पूर्व सांसद धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला रेड्डी को बसपा ने उम्मीदवार बनाकर भाजपा के लिए एक और चुनैती खड़ी कर दी।खैर इसी बीच उच्च न्यायालय से धनंजय को जमानत मिल गई और वो जेल से बाहर आ गए अभी दो-चार दिन ही बीते थे कि बड़े ही नाटकीय घटनाक्रम में श्रीकला ने बसपा पर टिकट काटने का आरोप लगा दिया जब कि बसपा नेताओं के अनुसार उनका टिकट कटा नहीं था बल्कि उन्होंने स्वयं ही वापस कर दिया था। बहरहाल अब सच्चाई जो भी रही हो किंतु इसी बीच धनंजय व उनकी पत्नी श्रीकला रेड्डी की दिल्ली में अमित शाह से मुलाकात की बातें चर्चा में आई और धनंजय ने अपने समर्थकों की एक बड़ी मीटिंग बुलाकर योगी सरकार का गुणगान करते हुए भाजपा के पक्ष में मतदान की अपील कर दी और कहा जहां रहूंगा वही जीतेगा का दवा आखिरकार फेल हो गया।पार्टी नेताओं की मानें तो भारी जनाधार का दावा करने वाले धनंजय सिंह ने अपने समर्थकों के साथ भाजपा प्रत्याशियों का समर्थन जरूर किया किंतु इसके बावजूद जौनपुर व मछलीशहर सहित दोनों सीटों पर भाजपा प्रत्याशी कृपा शंकर सिंह व बीपी सरोज को हार का सामना करना पड़ा। जिसे लेकर खूब चर्चाएं हो रही हैं।कृपाशंकर पर बाबा का सहारा भी काम नहीं आया
जौनपुर लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी कृपा शंकर सिंह को आखिरकार बदलापुर सपा के पूर्व विधायक ओमप्रकाश दुबे बाबा का भी समर्थन काम नहीं आया जबकि चुनाव के पहले समाजवादी पार्टी से इस्तीफा देकर अपने समर्थकों से भाजपा प्रत्याशी को जिताने के लिए बैठक कर चुनाव जिताने की अपील किया था।कही यह चुनाव प्रदेश में अफसर शाही का परिणाम तो नहीं ? जौनपुर की दो लोकसभा 73 जौनपुर, 74 मछलीशहर, दोनों लोकसभा क्षेत्रों से भाजपा के प्रत्याशियों का हारने का मुख्य कारण कहीं भाजपा नेताओं पर अफसर शाही का भारी होना तो नहीं है क्योंकि मतदान के दिन अधिकतर मतदान केंद्रों पर विश्व की सबसे बड़ी पार्टी कहीं जाने वाली भाजपा के कार्यकर्ता बूथों के पास नजर नहीं आ रहे थे जो नजर भी आ रहे थे उनमें उत्सुकता नजर नहीं आ रही थी मीडिया के काफी कुरेदने के बाद ज्यादातर लोग कहते नजर आए कि हम लोगों का क्या काम है। भाजपा को तो जिले के अधिकारी कर्मचारी खुद ही जीत देंगे और आज मतगणना परिणाम आने के बाद कार्यकर्ताओं की उदासीनता चुनाव परिणाम में दिख भी रहा है।