जौनपुर। एक दिन पहले मंगलवार को विशेष न्यायाधीश एमपीएमलए कोर्ट शरद त्रिपाठी ने मामले पर सुनवाई करते हुए धनंजय सिंह को दोषी करार दिया था धनंजय के साथ ही उनके साथी को भी सात साल की सजा और दो लाख जुर्माना लगाया गया है। सजा सुनाने के बाद तुरंत बाद धनंजय सिंह को दोबारा जेल भेज दिया गया।
हिस्ट्रीशीटर रहे धनंजय सिंह पर पहले से कई आपराधिक केस चल रहे हैं लेकिन सजा पहली बार किसी मामले में सुनाई गई है। धनंजय सिंह कई बार विधायक और 2004 में बसपा के टिकट पर सांसद चुने गए थे। इस बार भी लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया था। अब सजा के कारण उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया है। दो साल या इससे ज्यादा की सजा पाने वाले को चुनाव लड़ने पर पाबंदी है। ऐसे में धनंजय सिंह को अब हाईकोर्ट से उम्मीद है। उनके वकील ने फैसले की कापी मिलते ही हाईकोर्ट में अपील की बात कही है। हाईकोर्ट से तत्काल कोई राहत नहीं मिलती तो कम से कम इस लोकसभा चुनाव में धनंजय का उतरना मुश्किल हो जाएगा।
धनंजय और उनके साथी संतोष विक्रम के खिलाफ 10 मई 2020 को नमामि गंगे प्रोजेक्ट के मैनेजर अभिनव सिंघल ने एफआईआर दर्ज कराई थी। इसमें प्रोजेक्ट मैनेजर ने आरोप लगाया था कि संतोष विक्रम समेत धनंजय के कई गुर्गों ने उनका अपहरण किया। उन्हें धनंजय के सामने लाया गया। यहां धनंजय सिंह ने पिस्टल से धमकाते हुए सड़क निर्माण में कम गुणवत्ता वाली सामग्री का इस्तेमाल करने का दबाव बनाया और रंगदारी मांगी। पुलिस ने उसी दिन धनंजय को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।
इसी बीच मामले में नया मोड़ भी आ गया। प्रोजेक्ट मैनेजर ने कोर्ट में हलफनामा देते हुए धनंजय सिंह पर लगे आरोपों को वापस ले लिया। उनकी तरफ से पेश गवाह भी पक्षद्रोही हो गया था। पुलिस ने भी विवेचना में दोनों को क्लीन चिट दे दी। बाद में क्षेत्राधिकारी ने पुनः विवेचना के आदेश दिये। दोबारा हुई विवेचना के बाद कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया गया था। विवेचना के दौरान पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज, सीडीआर, व्हाट्सएप मैसेज, गवाहों के बयान व अन्य परिस्थितिजन्य साक्ष्य को मजबूत आधार बनाया। इससे वादी औऱ गवाह के पक्षद्रोही होने के बाद भी कोर्ट ने धनंजय को दोषी करार देते हुए अब सजा सुनाई है।