नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने शनिवार को दिल्ली-एनसीआर में अनुकूल हवा की गति के कारण वायु गुणवत्ता में हुए सुधार के बाद क्रमिक प्रतिक्रिया कार्य योजना (जीआरएपी) के चौथे चरण के तहत लगाए गए प्रतिबंधों को रद्द करने का आदेश दिया। इस आदेश से दिल्ली-एनसीआर में सार्वजनिक परियोजनाओं का निर्माण कार्य प्रारंभ होने के साथ ही ट्रकों एवं वाणिज्यिक चार पहिया वाहनों के प्रवेश पर लगा प्रतिबंध हट जाएगा। केंद्र सरकार की जीआरएपी के अंतिम चरण के तहत यानी चौथे चरण में ये प्रतिबंध लगाए जाते हैं। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने दिल्ली-एनसीआर से सभी आपातकालीन उपायों को रद्द करने का आदेश दिया है जो केवल सीएनजी, इलेक्ट्रिक और बीएस छह संबंधित वाहनों के दिल्ली में प्रवेश की अनुमति देते हैं।
सीएक्यूएम के नवीनतम आदेश के अनुसार, जीआरएपी के चौथे चरण में केवल आवश्यक वाहनों को दिल्ली में प्रवेश की अनुमति दी गई थी जबकि इससे अलग सभी मध्यम एवं ट्रकों के प्रवेश को प्रतिबंधित कर दिया था। प्रदूषण नियंत्रण निकाय ने कहा कि जीआरएपी के चरण एक, दो और तीन के तहत गैर-आवश्यक निर्माण कार्य, खनन, पत्थर तोड़ने का कार्य और डीजल जनरेटर पर प्रतिबंध सहित अन्य सभी प्रतिबंध जारी रहेंगे। दिल्ली का शाम चार बजे 24 घंटे का औसतन वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) शनिवार को सुधरकर 319 रहा जो शुक्रवार को 405 था।
पड़ोस में स्थित गाजियाबाद (276), गुरुग्राम (322), ग्रेटर नोएडा (228), नोएडा (265) और फरीदाबाद (309) में भी वायु गुणवत्ता बहुत खराब से गंभीर श्रेणी में दर्ज की गई। शून्य और 50 के बीच एक्यूआई को अच्छा , 51 और 100 के बीच संतोषजनक , 101 और 200 के बीच मध्यम , 201 और 300 के बीच खराब , 301 और 400 के बीच बहुत खराब , 401 और 450 के बीच को गंभीर और 450 से ऊपर को ‘‘अति गंभीर’’ माना जाता है।
सीएक्यूएम ने कहा कि भारत मौसम विज्ञान विभाग एवं भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान के वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान से दिल्ली-एनसीआर में आने वाले दिनों में समग्र वायु गुणवत्ता में भारी गिरावट आने का संकेत नहीं मिलता है। दिल्ली सरकार और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), कानपुर की एक संयुक्त परियोजना के हालिया निष्कर्षों से पता चला है कि शुक्रवार को राजधानी के वायु प्रदूषण में वाहनों के उत्सर्जन का लगभग 45 प्रतिशत योगदान था। शनिवार को इसके घटकर 38 फीसदी रहने की संभावना है। दिल्ली की खराब हवा में दूसरा प्रमुख योगदान सल्फेट और नाइट्रेट जैसे कणों का है जो बिजली संयंत्रों, रिफाइनरी और वाहनों जैसे स्रोतों से निकलने वाले प्रदूषक कणों और गैसों की परस्पर क्रिया के कारण वायुमंडल में बनते हैं। पिछले कुछ दिनों के दौरान दिल्ली के वायु प्रदूषण में इनका योगदान 19 से 36 प्रतिशत है। निर्माण कार्य और राष्ट्रीय राजधानी में डीजल खपत वाले ट्रकों के प्रवेश पर प्रतिबंध सहित दिल्ली सरकार द्वारा कड़े कदम उठाने के बावजूद पिछले कुछ दिनों में दिल्ली की वायु गुणवत्ता में गिरावट आई है।
वायु-गुणवत्ता की निगरानी में विशेषज्ञता रखने वाली स्विट्जरलैंड की कंपनी आईक्यूएयर के अनुसार, शनिवार को बगदाद के बाद दिल्ली दुनिया का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर था। चिकित्सकों के अनुसार, दिल्ली की प्रदूषित हवा में सांस लेना एक दिन में लगभग 10 सिगरेट पीने के हानिकारक प्रभावों के बराबर है। उन्होंने कहा कि प्रदूषण के उच्च स्तर के लंबे समय तक संपर्क में रहने से अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) जैसी श्वसन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं या बढ़ सकती हैं। साथ ही हृदय रोग का खतरा भी बढ़ सकता है।