संस्कृति की संवाहक होती हैं पुस्तकें : डॉ सत्या उपाध्याय

कोलकाता । ‘आज के इस यांत्रिक समय में ‘मन की पीर’ और ‘विनय याचना’ जैसी कविता पुस्तकों पर चर्चा मनुजता के कोमलतम् पक्ष के बचे रहने का संकेत है। पुस्तकें संस्कृति की संवाहक होती हैं। इस तरह के कार्यक्रम के लिए आयोजक बधाई के पात्र है।’ उपरोक्त बातें कलकत्ता गर्ल्स कालेज की प्रिंसिपल डॉ सत्या उपाध्याय ने श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय के तत्वावधान में आयोजित ‘एक शाम किताबों के नाम’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही।

डॉ सत्या उपाध्याय ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में चयनित पुस्तकों की विशेषताओं पर चर्चा करते हुए उनके विषय वस्तु, शिल्प और भाषा के अनूठे प्रयोग को रेखांकित किया। इन पुस्तकों के समीक्षक वक्ताओं के समालोचना पर संतोष प्रकट करते हुए उन्होंने कहा कि ये नई पीढ़ी आश्वस्त करती है कि आने वाला समय उज्ज्वल होगा।

कार्यक्रम में राजेन्द्र कानूनगो की कृति “विनय याचना’, जयकुमार रुसवा की काव्य कृति “मन की पीर’ तथा परमजीत पंडित की पुस्तक ‘जितेन्द्र श्रीवास्तव और उनकी जीवन दृष्टि’ पर विशेष चर्चा हुई। लेखकीय वक्तव्य के पश्चात समीक्षात्मक टिप्पणी प्रध्यापक रुद्रकांत झा, प्राध्यापिका दीक्षा गुप्ता एवं डॉ. विकास कुमार साव ने की।

कुमारसभा पुस्तकालय के अध्यक्ष महावीर प्रसाद बजाज ने इस कार्यक्रम की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए कहा कि शताब्दी वर्ष मना चुकी महानगर की प्रतिष्ठित संस्था श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय के अपने सारस्वत आयोजनों का ही एक नया आयाम है “एक शाम किताबों के नाम’। महानगर के साहित्यकारों की सद्य प्रकाशित पुस्तकों में चयनित तीन रचनाकारों की कृतियों पर चर्चा हेतु इस मंच की स्थापना की गई है। इसमें हिन्दी के अतिरिक्त भोजपुरी, मैथिली, राजस्थानी एवं अन्य भाषाओं की कृतियों पर भी चर्चा होगी।

कार्यक्रम के आरंभ में सुप्रसिद्ध गजलकार दुष्यंत कुमार की जन्मशती का स्मरण करते हुए शायर नन्दलाल रौशन ने उनकी गजल की सस्वर प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का संचालन किया डॉ. कमल कुमार ने तथा धन्यवाद ज्ञापन किया कुमारसभा के मंत्री बंशीधर शर्मा ने।

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