परिषदीय स्कूलों में बनेगा किचन गार्डन, नोनीहालों खाएंगे पौष्टिक सब्जियां

  • 2620 स्कूलों को दी गई 5 हजार रुपये की राशि

बाराबंकी। शासन की एक नई पहल के तहत जिले के 2620 परिषदीय स्कूलों के परिसर की खाली भूमि पर किचन गार्डन तैयार किया जाएगा। जिसे बनाने व रख रखाव लिए प्रति स्कूल पांच हजार रुपये दिए जायेंगे। दिन के भोजन में इस किचन गार्डन की ताजी सब्जियों को सम्मिलित किया जाएगा। जिससे बच्चों का भोजन में पौष्टिक बने और उनमें खेती किसानी को लेकर ललक बढ़े। बता दें कि पूर्व में जिले के 600 परिषदीय स्कूलों में किचन गार्डन बनाया गया है। अब लोकसभा चुनाव की मतगणना के बाद शेष बचे लगभग 2020 स्कूलों में खाली पड़ी भूमि में किचन गार्डन बनाने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए शासन से मिलने वाले बजट से संबंधित स्कूलों को पांच-पांच हजार रुपये की धनराशि दी जाएगी। विभाग की ओर से बजट की मांग की गई है। शाासन का मानना है कि विद्यार्थियों में क्यारी बनाकर हरी सब्जियां फल व फूल बोने/ उगाने के प्रति उत्साह बढ़ेगा तो एमडीएम योजना में तैयार होने वाले भोजन में ताजी व पोषक युक्त सब्जी बनने से बच्चों के स्वास्थ्य में भी सुधार होगा। किचन गार्डन तैयार होने से बच्चों को मौसमी सब्जियों की उपयोगिता व उसमें पाए जाने वाले पोषण तत्वों की जानकारी भी होगी। जानकारी होने के बाद बच्चे घर में भी क्यारी के माध्यम से हरी सब्जियां, फल व फूल का उत्पादन कर सकेंगे।
इन सब्जियों की होगा उत्पादन
जायद सीजन में भिंडी, पालक, लोबिया, लौकी, करेला, खीरा, कददू, तरबूज, खरबूजा, बैंगन, चुकंदर, शलजम, गाजर व मूली तो खरीफ सीजन में चौलाई, भिंडी, बैगन, करेला, लोबिया, तुरई, कददू, लौकी, प्याज व सेम की खेती की जाएगी। इसी तरह रबी सीजन में टमाटर, मटर, मिर्च, फूलगोबी, पत्तागोभी, पालक, सरसो, मेथी, सोया, धनियां, शिमला मिर्च, बैंगन, प्याज, लहसुन, गाजर व मूली का उत्पादन किया जाएगा।
किसानी का तरीका समझेंगे छात्र
शासन की इस नई पहल से छात्र-छात्राएं अब अपने स्कूल में किसानी के तरीकों को सीखेंगे। आजकल युवाओं में मल्टीनेशनल कंपनियों में नौकरी करने की होड़ है। कोई किसान बनकर देश की सेवा नहीं करना चाहता। ऐसे में यह पहल युवाओं को कृषि करने के लिए प्रेरित करेगी। ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चे मां और पिता के साथ बहुत छोटी उम्र से ही किसानी का कार्य करने लगते है। ऐसे में जब वह अपने स्कूल में हरी हरी सब्जियों को तैयार होता देखेंगे तो उनमें भी किसानी से जुड़ने की ललक बढ़ेगी।

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