पुलिस और वन विभाग की मिलीभगत से काटे जा रहे हैं प्रतिबंधित हरे पेड़!

  • वन विभाग का नारा है “वृक्ष लगाओ पानी बरसाओ”। लेकिन महिंगवा में हो रहा इसके उल्टा “वृक्ष कटाओ पैसा कमाओ”
  • लकड़ी के इस अवैध कारोबार में 30 परसेंट पुलिस और 20 परसेंट वन विभाग लकड़ी माफियाओं से कमीशन लेकर खुलेआम हरियाली उजाड़ने का दे रहा आदेश

निष्पक्ष प्रतिदिन/बीकेटी,लखनऊ

पुलिस कमिश्नरेट के महिंगवा थाना क्षेत्र के नोहरी का पुरवा मजरे नरोसा गांव में प्रतिबंधित महुवा,जामुन व नीम के लगभग 50 वर्ष के आधा दर्जन से अधिक हरे भरे पेडों की अवैध कटाई ने पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचाया है। लगातार अवैध कटाई ने जहां मानवीय जीवन को प्रभावित किया है, वहीं असंतुलित मौसम चक्र को भी जन्म दिया। पेड़ो की अंधाधुंध कटाई जो पर्यावरण की दृष्टि से अत्यंत चिंताजनक है। कानून और नियमों के बावजूद पेड़ो की कटाई धुआंधार जारी है। हल्का पुलिस व वन रक्षक की मिलीभगत से प्रतिबंधित हरे पेड़ों को काटा जा रहा है। लकड़ी ठेकेदार हल्का पुलिस से संपर्क कर कटान को बेधड़क अंजाम दे रहे हैं। उन्हें पेड़ कटान का परमिट हल्का पुलिस से ही मिल जाता है। और ठेकेदार बेरोकटोक हरियाली पर आरा चला पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं।

यह पूरा मामला पुलिस कमिश्नरेट के महिंगवा थाना क्षेत्र के नोहरी का पुरवा मजरे नरोसा गांव का है। जहाँ पुलिस की नजरों में पेड़ की कीमत कुछ नही है। पुलिस एवं वन विभाग की मिलीभगत से लकड़कट्टों द्वारा हरे भरे पेड़ों का कत्ल किया गया है। अगर यही हाल रहा तो आने वाले दिनों में क्षेत्र रेगिस्तान हो जाएगा। जबकि वन विभाग का नारा है “वृक्ष लगाओ पानी बरसाओ”। लेकिन यहाँ इसके उल्टा हो रहा है, “वृक्ष कटाओ पैसा कमाओ”। महिंगवा थाना क्षेत्र में धड़ल्ले से हरे भरे पेड़ पुलिस की मिलीभगत से काटे जा रहे हैं । लकड़कट्टे सुविधा शुल्क देकर फलदार हरे और स्वस्थ पेड़ों का परमिट हासिल कर लेते हैं और पुलिस संरक्षण में पेड़ों का कटान होता है । लकड़ी के ठेकेदार पेड़ काटने के बाद ट्रैक्टर-ट्रालियों और पिकअप से ढुलाई करते हैं। जिसका टीपी भी नहीं होता है। पैसा लेकर क्षेत्रीय पुलिस और वन विभाग अपनी आंखे बंद कर लेती है। जिससे लकड़ी कटाई माफियाओ के हौसले बुलन्द है।सबसे बड़ी बात तो यह है तो यह है कि क्षेत्र में हरे भरे पेड़ों को काटकर रातों-रात लकड़ी माफियाओं द्वारा सबूत मिटाने के लिए ठूठ को भी खुदवा कर ट्रैक्टर चलवा दिया जाता है और जमीन में तब्दील करा दिया जाता है। जिनके कंधों में क्षेत्र की देखरेख करने की जिम्मेदारी है वहीं क्षेत्र की हरियाली को पूरी तरह से समाप्त करने में लगे हैं।
कटाई ठेकेदार की माने तो महिंगंवा थाना क्षेत्र में कई कई लकड़ी कटाई ठेकेदार है जो थाना में शुल्क लेकर क्षेत्र में आम के व आम ,महुआ, नीम जैसे हरे भरे पेड़ों को काटने की परमिशन लकड़ी माफियाओं को दी जा रही है जब रक्षक ही भक्षक बनते देखे जा रहे हैं तो कौन करेगा क्षेत्र के सर्किल की रखवाली। वहीं पुलिस भी अपना योगदान निभाने में पीछे हटती नहीं देखी जा रही है क्योंकि इस कारोबार में 30 परसेंट पुलिस और 20 परसेंट वन विभाग लकड़ी माफियाओं से कमीशन लेकर खुलेआम हरियाली उजाड़ने का आदेश दे दिया जाता है। सबसे मजे की बात तो यह है कि उसी रोड पर से होकर यह प्रतिबंधित लकड़ी को लादकर लेकर जाते हैं जहां पर पुलिस चौकी से लेकर थाने के सामने से निकल कर सुविधा शुल्क देते हुए मंडी तक पहुंच जाते हैं यह खेल बन विभाग के भी अधिकारियों की जानकारी में रहता है लेकिन अंजान बने रहते हैं।सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर हरे भरे वृक्षों को रोड के दोनों तरफ लगवाने में खर्च कर रही तो वहीं रक्षक ही भक्षक बन रहे हैं। समय रहते अगर इस ओर किसी भी जिम्मेदार अधिकारी प्रतिबंधित न किये तो क्षेत्र का नाम तो रहेगा लेकिन हरे भरे पेड़ नहीं रहेंगे और जमीन रेगिस्तान में तब्दील हो जाएगी।
इस बाबत जब लकड़ी ठेकेदार से बात की गई तो ठेकेदार ने कहा कि अख़बार में जो छापना हो छापो मेरा कुछ नहीं बिगड़ेगा,वन विभाग से लेकर पुलिस तक पैसा देता हूं।ऐसे थोड़े ही लकड़ी कटान का काम करता हूं।इसी बाबत जब वन विभाग के अधिकारी अनुज प्रताप से बात करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने फोन उठाना मुनासिब नहीं समझा।

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