COP28: शुरू हुआ जलवायु परिवर्तन सम्मेलन का 28वां संस्करण, मुख्य एजेंडा जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में प्रगति की समीक्षा

जलवायु परिवर्तन का असर यह हो रहा है कि मौसम अनपेक्षित हो गया है। कहीं सूखा तो कहीं बाढ़ का कहर है। कहीं सर्दी पड़ रही है तो ऐसी कि रिकॉर्ड ही टूट रहे हैं। गर्मी भी ऐसी पड़ रही है कि पूरी दुनिया इसका असर महसूस कर रही है। दुनिया भर के देश फिर से जुट रहे हैं। पीएम मोदी भी इसमें शामिल होने के लिए दुबई पहुँचे हैं। ये सारे देश जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (सीओपी28) के वार्षिक सम्मेलन में भाग लेने के लिए जुट रहे हैं। दुबई में COP28 जलवायु सम्मेलन के उद्घाटन दिवस पर कमजोर देशों को जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से निपटने में मदद करने के लिए हानि और क्षति कोष आधिकारिक तौर पर लॉन्च किया गया है। हानि और क्षति निधि की घोषणा पहली बार पिछले साल मिस्र के शर्म अल-शेख में COP27 के दौरान की गई थी।

दुनिया भर में प्रदूषण यानी ख़राब होती हवा का असर तापमान पर पड़ रहा है। हवा में कार्बन डाइऑक्साइड जैसे गैसों की मात्रा बढ़ रही है और इसको संतुलन बनाए रखने में अहम योगदान देने वाले पेड़ों की कटाई हो रही है। नतीजा, तापमान बढ़ रहा है और जलवायु परिवर्तन हो रहा है। इंग्लैंड सहित कई यूरोपीय देशों ने भीषण गर्मी झेली। अगले कुछ दशकों में तापमान इतना बढ़ जाएगा कि यह असहनीय हो जाएगा और बड़े-बड़े ग्लेशियर पिघल जाएँगे। फिर तटीय इलाकों के डूबने का ख़तरा भी है। इसी जलवायु परिवर्तन पर बात करने के लिए दुनिया भर के नेता इकट्ठे हो रहे हैं।

12 दिसंबर तक चलने वाले शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी 2015 पेरिस और 2021 ग्लासगो की अपनी यात्रा के बाद तीसरी बार विश्व जलवायु कार्रवाई शिखर सम्मेलन में शामिल हो रहे हैं। COP28 बैठक के उच्च-स्तरीय खंड में 140 से अधिक राष्ट्राध्यक्षों या सरकारों के प्रमुखों के शामिल होने की उम्मीद है।

भारत में भी कोयले पर निर्भरता को लेकर चर्चा होती रही है। बिजली उत्पादन के लिए कोयले पर पहले भारत ने जोर देकर कहा था कि अपनी निर्भरता को जल्द ही छोड़ने की स्थिति में नहीं है। भारत हरित ऊर्जा में सुनिश्चित करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा आपूर्ति में तेजी से वृद्धि कर रहा है।

जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में प्रगति की समीक्षा करना है। इसमें देशों द्वारा उठाए जा रहे क़दमों को और मजबूत करने के उपायों पर निर्णय लेना है। कोयला भारत के ऊर्जा मिश्रण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और रहेगा, यह हमेशा से रहा है, क्योंकि हम अपने देश में अपनी विकासात्मक प्राथमिकताओं को पूरा करने के लिए आगे बढ़ रहे हैं।’

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