देहरादून। कांग्रेस उत्तराखंड में आईएनडीआई गठबंधन का सहयोग तो लेगी, लेकिन लोकसभा चुनाव में सभी पांचों सीटों पर स्वयं खम ठोकने जा रही है। सीटों के बंटवारे में गठबंधन के किसी भी सहयोगी दल के साथ समझौता होने के आसार नहीं के बराबर हैं। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे 28 जनवरी को प्रदेश कार्यकर्ताओं की रैली में चुनाव का बिगुल फूंकेंगे।
कांग्रेस ने किया अपनी रणनीति में बदलाव
उत्तराखंड राज्य बनने के बाद से ही चुनावी मुकाबला मुख्य रूप से दो राष्ट्रीय दलों भाजपा और कांग्रेस के बीच रहा है। गैर भाजपा दलों में बसपा का जनाधार मजबूत भले ही रहा है, लेकिन उसका दायरा क्षेत्र विशेष से आगे नहीं बढ़ पाया।
राष्ट्रीय स्तर पर आईएनडीआई गठबंधन में कांग्रेस सम्मिलित तो है, लेकिन उत्तराखंड में सहयोगी दलों की तुलना में सभी पांचों संसदीय सीटों पर उसकी स्थिति अपेक्षाकृत काफी मजबूत है। यद्यपि भाजपा ने जिस प्रकार पिछले दो लोकसभा चुनाव में इन सभी सीटों पर कांग्रेस को पटखनी दी, उससे इस प्रमुख प्रतिपक्षी पार्टी ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है।
बसपा का रूख अलग
भाजपा के विरोध को धार देने के लिए कांग्रेस अन्य सभी विपक्षी दलों व संगठनों को लामबंद करने का प्रयास कर रही है। समाजवादी पार्टी के साथ ही वाम संगठनों ने ही अभी तक कांग्रेस के सुर में सुर मिलाया तो है, लेकिन सीटों के बंटवारे का मामला दलों की राजनीतिक हैसियत से ही तय होना है। बसपा का रुख फिलहाल अलग ही दिखाई दे रहा है।
28 जनवरी को खरगे की रैली
प्रदेश में अपनी स्थिति को सहयोगी दलों की तुलना में अधिक ताकतवर मानते हुए कांग्रेस सीटों के बंटवारे पर समझौते के पक्ष में नहीं दिखती।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की 28 जनवरी को देहरादून में प्रस्तावित रैली में प्रदेशभर से पार्टी कार्यकर्ता सम्मिलित होंगे। इस रैली के माध्यम से पार्टी उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव के लिए युद्ध प्रारंभ करने की घोषणा भी करने जा रही है।