कांग्रेस तृणमूल के साथ गठबंधन के लिए तैयार

कोलकाता। बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी भले आगामी लोकसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस से किसी तरह के समझौते के पक्ष में न हों, लेकिन कांग्रेस हाईकमान ममता बनर्जी की पार्टी के साथ राज्य की 12 लोस सीटों को लेकर बातचीत शुरू करना चाहता है। पार्टी सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व और राज्य कमेटी के नेताओं में हुई बैठक में ऐसी 12 सीटों की सूची तैयार की गई हैं, जहां आगामी लोस चुनाव में पार्टी के जीतने की संभावनाएं हैं।

अधीर उन सीटों पर वाममोर्चा के साथ अथवा अकेले लड़ने के पक्ष में हैं, लेकिन कांग्रेस हाईकमान का झुकाव तृणमूल की तरफ दिख रहा है। वह इन सीटों को लेकर तृणमूल के साथ बातचीत करना चाहता है। इनमें पिछले लोस चुनाव में कांग्रेस की बंगाल में जीतीं दो सीटें बहरमपुर व मालदा दक्षिण के अलावा मुर्शिदाबाद व मालदा जिले की सीटें मुख्य रूप से शामिल हैं। इन सारी सीटें मुस्लिम बहुल हैं। दूसरी तरफ तृणमूल पहले ही साफ कर चुकी है कि वह कांग्रेस के लिए दो से ज्यादा सीटें छोडऩे को तैयार नहीं है। ऐसे में कांग्रेस की ओर से बातचीत का प्रस्ताव देने का कोई लाभ होगा या नहीं, यह आने वाला समय ही बताएगा।

कांग्रेस तृणमूल के साथ गठबंधन के लिए तैयार
खबर यह भी है कि तृणमूल अगर 12 के बजाय पांच-छह सीटें छोड़ने को भी तैयार हो गई तो कांग्रेस गठबंधन के लिए राजी हो सकती है। वहीं, दो सीटों पर अडिग रहने के बावजूद ममता की पार्टी कांग्रेस का साथ चाहती है, क्योंकि ऐसा नहीं होने पर बंगाल में मुस्लिमों का वोट बंट सकता है, जिसका लाभ भाजपा को ही होगा।

कांग्रेस बंगाल में तृणमूल और माकपा की अगुआई वाली वाममोर्चा, दोनों को साथ लेकर चलना चाहती है। हालांकि, माकपा इसके लिए कतई राजी नहीं है। माकपा के राज्य सचिव मोहम्मद सलीम पहले ही संकेत दे चुके हैं कि कांग्रेस को दोनों में से किसी एक को चुनना होगा। राजनीतिक विश्लेषक बंगाल में तृणमूल, भाजपा व कांग्रेस-वाममोर्चा गठबंधन के बीच त्रिकोणीय मुकाबले की संभावना को भी नहीं नकारा रहे।

मालूम हो कि कांग्रेस और माकपा, दोनों ने दक्षिण 24 परगना जिले की डायमंड हार्बर सीट से चुनाव लडऩे के बजाय वहां आल इंडिया सेक्युलर फ्रंट एआइएसएफ के संभावित प्रत्याशी नौशाद सिद्दीकी का समर्थन करने का निर्णय लिया है। राजनीतिक पर्यवेक्षकों के अनुसार यह कदम डायमंड हार्बर के वर्तमान सांसद व तृणमूल के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी के लिए समस्या पैदा कर सकता है।

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