नई दिल्ली। दक्षिण के पांच राज्यों तेलंगाना, केरल, तमिलनाडु, पुडुचेरी और कर्नाटक में लोकसभा चुनाव की लड़ाई 2024 में इसलिए भी बेहद दिलचस्प है कि जहां क्षेत्रीय पार्टियां अपना आधार कायम रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं, वहीं दोनों प्रमुख राष्ट्रीय दल भाजपा और कांग्रेस के बीच भी दक्षिण का बाजीगर बनने की जबरदस्त होड़ है।
इसका ही नतीजा है कि कांग्रेस राष्ट्रीय राजनीति में विपक्षी विकल्प की धुरी बने रहने के लिए कम से कम दक्षिण भारत में भाजपा को आगे नहीं निकलने देने की रणनीति के इर्द-गिर्द अपने चुनावी प्रबंधन को दशा-दिशा देने में जुटी है। चुनावी प्रबंधन की अपनी इस अंदरूनी रणनीति के तहत कांग्रेस ने दक्षिण के उक्त पांच राज्यों में मिशन 50 का लक्ष्य निर्धारित कर रखा है। यानी पार्टी दक्षिण भारत से लोकसभा की कम से कम 50 सीटें जीतने की उम्मीद कर रही है।
दक्षिणी राज्यों के चुनाव महत्वपूर्ण
पार्टी की सियासत के साथ-साथ विपक्षी गठबंधन आइएनडीआइए के भविष्य की संभावनाओं को जीवंत रखने के लिए दक्षिणी राज्यों के चुनाव कांग्रेस के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। दक्षिण में कांग्रेस के अपने मिशन 50 के बड़े लक्ष्य की वजह यह भी है कि पिछले दो 2014 व 2019 के लोकसभा चुनावों में पार्टी के बेहद खराब दौर में दक्षिण के राज्यों ने ही उसे राजनीतिक सहारा दिया है।
सूत्रों के अनुसार पार्टी के चुनावी रणनीतिकार सुनील कानुगोलू की टीम इस मिशन को लेकर जमीनी स्तर पर गंभीरता से काम कर रही है और केरल, तेलंगाना, कर्नाटक तथा तमिलनाडु इन चार राज्यों में कांग्रेस के बेहतर प्रदर्शन से लक्ष्य हासिल करने की रणनीति बनी है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के रणनीतिक सिपहसालारों में शामिल एक वरिष्ठ नेता ने इस बारे में कहा कि भाजपा की तरह हम 370 या 400 सीटों के बड़े-बड़े दावे नहीं करेंगे, मगर यह सही है कि प्रत्येक प्रदेश के साथ क्षेत्र के स्तर पर पार्टी ने निश्चित संख्या में सीटें जीतने का मिशन तय किया गया है। संभावनाओं वाली इन सभी सीटों पर पार्टी पूरी ताकत झोंकने में कोई कसर नहीं रखेगी।
कर्नाटक में चुनौती बड़ी
तेलंगाना, केरल, तमिलनाडु व पुडुचेरी को मिलाकर 38-39 सीटें जीतने का आंकड़ा छूने को लेकर कांग्रेस जहां आश्वस्त है तो दक्षिण के मिशन 50 में कर्नाटक में चुनौती कहीं ज्यादा बड़ी है। एक साल पहले विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत हासिल करने के बाद लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए इस प्रदर्शन के आस-पास टिके रहना कठिन बताया जा रहा है। इसका अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि राज्य की 28 लोकसभा सीटों में पार्टी अंदरूनी तौर पर 12-13 सीटों के अलावा ज्यादा संभावनाएं नहीं देख रही ।
केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी का ये है गणित
केरल, तेलंगाना, कर्नाटक तथा तमिलनाडु को मिलाकर 2019 के चुनाव में कांग्रेस ने दक्षिण भारत की लोकसभा की कुल 130 सीटों में से 30 सीटें जीती थीं। पार्टी का मानना है कि केरल की 20 सीटों में से कम से कम 17 सीटें इस बार भी मिलनी तय हैं तो तमिलनाडु की 39 में आठ से नौ सीटों और पुडुचेरी की एक सीट के लक्ष्य को हासिल करना मुश्किल नहीं है। तमिलनाडु में द्रमुक के साथ मजबूत गठबंधन का कांग्रेस को पिछले चुनाव में भी फायदा मिला था और इस चुनाव में भी अन्नाद्रमुक के बिखराव का इस गठबंधन को फायदा मिल सकता है।
तेलंगाना के सीएम ने किया हाईकमान को आश्वस्त
तेलंगाना में विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने से उत्साहित कांग्रेस राज्य की 17 में से कम से कम 12 सीटें अपने खाते में आने की संभावनाएं देख रही है। मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी और विधानसभा चुनाव में जीत के रणनीतिकार कानुगोलू लोकसभा चुनाव में भी इस लक्ष्य को हासिल करने को लेकर हाईकमान को आश्वस्त कर रहे हैं।
रणनीति और प्रबंधन के साथ लगाना होगा चुनावी मैदान में जोर
कर्नाटक में कांग्रेस पिछले लोकसभा में केवल एक सीट ही जीत पाई थी और इस लिहाज से दहाई का आंकड़ा पार करने का इस बार का लक्ष्य बहुत बड़ा है। पार्टी के रणनीतिकार भी मानते हैं। कि कांग्रेस के मिशन दक्षिण के लक्ष्य को हासिल करने के लिए कर्नाटक में कम से कम 10-12 सीटें हासिल करना अपरिहार्य है और इसके लिए पार्टी को रणनीति, प्रबंधन से लेकर मैदान में पूरा जोर लगाना होगा।