-दीपावली सा जगमग होगा नगर,निकलेगी शोभा यात्रा-कौमुदी पाण्डेय
शुक्लागंज, उन्नाव। रामचरितमानस मे आदि कवि वाल्मीकि ने श्रीराम को धर्म की प्रतिमूर्ति बताया है उनके अनुसार “रामो विग्रहवान धर्म:” अर्थात राम धर्म का साक्षात श्रीविग्रह हैं। अयोध्या मे रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर पूरा देश उत्साहित है। नगर शुक्लागंज के सभी विभिन्न धार्मिक, सामाजिक संगठनो के साथ साथ नगरवासी महोत्सव को भव्य बनाने मे जुटे हुए है। जिसके चलते नगर पालिका परिषद गंगाघाट द्वारा श्रीराम के स्वागत की तैयारी पूरी करते हुए राजधानी मार्ग सहित एक एक गलियां, व हर छोटे बडे मंदिर को सजाने का कार्य किया गया है। नगर पालिका परिषद गंगाघाट अध्यक्ष कौमुदी पाण्डेय ने बताया कि 22 जनवरी 2024 वो तारीख है जब अयोध्या के नवनिर्मित भव्य राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रहीं है। जिसके चलते पूरे नगर को रोशनी से सजाया गया है जिससे नगर दीपावली की तरह जगमग दिखाई देगा। श्री राम ज़ी का विशाल रथ भव्य झंकियों के साथ पूरे नगर मे भ्रमण करेगा।
अध्यक्ष प्रतिनिधि संदीप पाण्डेय ने बताया कि देश के करोड़ों हिन्दुओं का सपना साकार होने जा रहा है। हिन्दुओं द्वारा दिया गया उपर्युक्त स्लोगन ” रामलला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे’” अब सत्य साबित होने जा रहा है। जिसके चलते नगर शुक्लागंज भी प्रभु राम के रंग में पूरा डूब चुका है। प्राण प्रतिष्ठा वाले दिन हर कोई अपने तरीके से प्रभु राम की पूजा अर्चना करने का कार्यक्रम बना रहा है। प्रभु श्री राम के स्वागत मे कोई कमी ना इसके लिए नगर पालिका द्वारा मरहला चौराहे पर भव्य श्री राम स्वागत गेट बनाया गया है। नवीन पुल पर जगमग लाइटों के साथ पूरे नगर के मुख्य मार्ग के दोनो ऒर जय श्री राम लिखा भगवा झंडा लगाया गया है। नगरपालिका परिषद गंगाघाट द्वारा श्री रामरथ , कलशयात्रा ,सचलसुंदरकाण्ड का आयोजन 22 जनवरी सुबह 11 बजे होगा जो प्राचीन हनुमान मन्दिर से सम्पूर्ण नगर में भ्रमण करेगी । नगर के सभी रामभक्त इस यात्रा में शामिल हों कर पुण्य के भागीदार बने।
त्रेतायुग मे प्रभु राम के स्वागत मे कुछ यूँ सजी होगी अयोध्या जरा सोचिए कि जब त्रेतायुग में सच में भगवान राम 14 वर्षों के वनवास के बाद लौटकर अयोध्या आए होंगे, तब अयोध्या को किस कदर सजाया गया होगा। जब इस कदर तकनीक नहीं थी कि रंग-बिरंगी रोशनी से किसी शहर को नहलाया जा सके, तब भरत के नेतृत्व में किस कदर अयोध्यावासियों ने अपने राम का स्वागत किया होगा। अब उस सुंदरता की तो महज कल्पना ही की जा सकती है. लेकिन वाल्मीकि रामायण में महर्षि वाल्मीकि ने उस वक्त की अयोध्या का जिन शब्दों में बखान किया है, उससे आप समझ सकते हैं कि त्रेतायुग में सुंदरता की परिभाषा क्या थी।
राम के वन जाने के बाद राम की चरणपादुकाओं के साथ भरत अयोध्या के पास बसे नंदीग्राम में ही रहते थे। राम जब अयोध्या लौट रहे थे तो रास्ते में वो भारद्वाज मुनि के आश्रम में रुके थे और वहीं पर उन्होंने हनुमान से कहा कि वो अयोध्या जाकर भरत को ये बताएं कि राम अयोध्या आ रहे हैं।
तब हनुमान ने भरत को पूरी कहानी बताई और ये भी बताया कि भारद्वाज मुनि के आश्रम से राम अब अयोध्या आने वाले हैं।तब भरत ने शत्रुघ्न से अयोध्या को संवारने के लिए कहा। वाल्मीकि रामायण के युद्ध कांड के 130वें सर्ग में महर्षि वाल्मीकि लिखते हैं-
विष्टीरनेकसाहस्त्राश्चोदयामास वीर्यवान्।
समीकुरुत निम्नानि विषमाणि समानि च।।
स्थलानि च निरस्यंतां नन्दिग्रामादित: परम्।
सिंचन्तु पृथिवीं कृत्स्नां हिमशीतेन वारिणा।।
अर्थात- भरत के कहने पर शत्रुघ्न ने कई हजार कारिगरों को कहा कि नंदिग्राम से अयोध्या तक के बीच की सड़क को ठीक किया जाए। जहां रास्ता उबड़-खाबड़ हो वहां मिट्टी भरकर उसे बराबर किया जाए। बर्फ के समान शीतल जल से सड़क पर छिड़काव किया जाए।