केंद्रीय विद्यालयों को सालों बाद भी नहीं मिली जमीन

नई दिल्ली। स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता को निखारने के लिए केंद्र सरकार जहां सभी राज्यों में पीएम-श्री जैसे सुविधायुक्त स्कूलों को खोलने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ी है, वहीं देश में करीब 51 ऐसे केंद्रीय विद्यालय भी है, जो सालों से अस्थाई भवनों और तंबुओं में संचालित हो रहे है।

जमीन नहीं दे रहे राज्य
यह स्थिति तब है इनके स्थाई भवनों को बनाने के लिए केंद्र तैयार है, लेकिन राज्य भूमि ही नहीं मुहैया करा रहे हैं। इनमें सबसे अधिक करीब 16 केंद्रीय विद्यालय अकेले बिहार के हैं। इनमें लखीसराय का एक केंद्रीय विद्यालय तो ऐसा है, जिसे 35 साल पहले अस्थाई भवन और तंबू में ही शुरू किया था और आज भी उसी में चल रहा है।

केंद्र सरकार ने दिखाई सक्रियता
फिलहाल देश भर में सालों से अस्थाई भवनों और तंबुओं में चल रहे इन स्कूलों को जल्द स्थाई भवन मुहैया कराने के लिए केंद्र सरकार ने सक्रियता दिखाई है। साथ ही इसे लेकर सभी राज्यों को पत्र लिखकर कहा है कि वह कम से कम अपने बच्चों के भविष्य का ध्यान रखते हुए सालों से अस्थाई भवनों में चल रहे है इन स्कूलों के लिए जमीन मुहैया कराएं। केंद्र सरकार का कहना है कि केंद्रीय विद्यालय संगठन के नियमों के तहत स्कूलों के लिए राज्यों को सिर्फ जमीन ही मुहैया करानी है, बाकी निर्माण से लेकर संचालन आदि का पूरा खर्च वह खुद ही वहन करेगा। इस सब के साथ ही स्कूलों की क्षमता को भी विस्तार मिलेगा, जिसके तहत और ज्यादा बच्चे इन स्कूलों में पढ़ सकेंगे।

झारखंड, ओडिशा में भी अस्थाई कैंपस में चल रहे केंद्रीय विद्यालय
बिहार के अतिरिक्त जिन अन्य राज्यों में भी केंद्रीय विद्यालय अस्थाई कैंपस में चल रहे है, उनमें झारखंड़, ओडिशा, उत्तर प्रदेश आदि राज्य है। हालांकि इनमें ऐसे विद्यालयों की संख्या तीन से चार ही है। बाकी राज्यों में भी एक-दो विद्यालय ही अस्थाई कैंपस में चल रहे है।

गौरतलब है कि मौजूदा समय में देश में करीब 13 सौ केंद्रीय विद्यालय है। इन विद्यालयों को वैसे तो सेना व केंद्रीय कर्मचारियों के बच्चों की शिक्षा के लिए शुरू किया गया था, लेकिन बाद में इन विद्यालयों की बढ़ती प्रतिष्ठा के बाद इन्हें स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता के लिए राज्यों की मांग के बाद इन्हें अन्य क्षेत्रों में आमलोगों के लिए भी खोल दिया गया। मौजूदा समय में सेना और केंद्रीय कर्मचारियों के बच्चों को दाखिला देने के बाद खाली सीटों पर आम बच्चों को प्रवेश दिया जाता है।

ज्यादा रजिस्ट्री शुल्क की मांग के चलते नहीं मिल पाई जमीन
एयर फोर्स स्टेशन पूर्णिया, सीआरपीएफ झाफांन (मुजफ्फरपुर), एसएसबी, वीरपुर सुपौल और सीआरपीएफ बारचट्टी (गया)। केंद्रीय विद्यालय संगठन के मुताबिक इन चार केंद्रीय विद्यालयों अभी भी सिर्फ इसलिए अस्थाई भवनों में चल रहे है, क्योंकि इन्हें चिन्हित जमीन की रजिस्ट्री के लिए राज्य सरकार की ओर से भारी शुल्क की मांग की जा रही है, जबकि अमूमन इस शुल्क को दूसरे राज्यों में माफ कर दिया है। केंद्रीय विद्यालय संगठन के नाम जमीन की रजिस्ट्री न होने से भवन के निर्माण का काम शुरू नहीं हो पा रहा है।

मंजूरी के बाद भी नहीं शुरू हो पाए नवादा और देवकुंड में विद्यालय
जमीन मिलने के विवाद को देखते हुए केंद्रीय विद्यालय संगठन अब बिहार में तब तक कोई केंद्रीय विद्यालय शुरू करने को तैयार नहीं है, जब तक उसे जमीन आवंटित नहीं कर दी जाती है। इसके चलते नवादा और देवकुंड में वर्ष 2018 में स्वीकृत किए गए यह विद्यालय अब तक शुरू नहीं सके है। इससे पहले राज्य सरकारों के भरोसे पर संगठन नया स्थाई भवन बनने तक वहां किसी अस्थाई कैंपस में विद्यालय का संचालन शुरू कर देता था।

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