नई दिल्ली। हिंदू धर्म में भगवान गणेश को सभी देवी-देवताओं में प्रथम स्थान प्राप्त है। किसी भी शुभ और मांगलिक कार्य शुरू करने से पहले बप्पा की पूजा करने का विधान है। ऐसा कहा जाता है कि जो साधक भगवान गणेश की भाव के साथ पूजा करते हैं, उनके किसी भी कार्य में आ रही बाधा दूर हो जाती है। साथ ही जीवन शुभता की ओर आगे बढ़ता है।
आज हम छत्रपति शिवाजी के कोलाबा किला में होने वाले गणेश उत्सव के बारे में जानेंगे, जिसकी चर्चा चारों तरफ रहती है।
किले से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य
कोलाबा किला एक प्राचीन सैन्य किला है, जो महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में समुद्र तट पर स्थित है। यह छत्रपति शिवाजी महाराज के शासनकाल में प्रमुख नौसैनिक स्थान था। ऐसा कहा जाता है कि इसका निर्माण 1680 में शुरू हुआ था और इसमें आए दिन लंबे समय तक कुछ न कुछ बदलाव व कार्य होते रहते थे। किले की नक्काशी आज भी हर किसी का दिल जीत लेती है। वहीं, खारे पानी के समुद्र में होने के बावजूद इसमें साफ पानी के भी स्रोत हैं, जो लोगों को हैरान करते हैं।
भव्यता के साथ मनाया जाता है गणेश उत्सव
इस किले के तीन ऐतिहासिक मंदिर गणेश, पद्मावती और महिषासुर मंदिर बेहद प्रसिद्ध हैं, जिसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। वहीं, गणेश मंदिर में बड़ी भव्यता के साथ गणेश महोत्सव का आयोजन किया जाता है, जिसमें भारी संख्या में लोग आते हैं। इस जश्न में लोग ढोल-ताशों, नृत्य और ‘गणपति बप्पा मोरया’ के जयकारों में लीन रहते हैं।
इस मंदिर और उत्सव को लेकर ऐसा कहा जाता है कि यहां जीवन के सभी विघ्नों का नाश होता है। यह भी एक वजह है कि यहां श्रद्धालु बप्पा के दर्शन के लिए भारी मात्रा में जुटते हैं।