नई दिल्ली। कैंसर एक ऐसी बीमारी है, जो शरीर के किसी भी अंग को प्रभावित कर सकता है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक, कैंसर दुनिया भर में मौत की दूसरी सबसे बड़ी वजह है। साल 2018 में कैंसर की वजह से लगभग 90.6 लाख लोगों ने अपनी जान गवाई है। यह आंकड़ा काफी डरावना है। इसलिए इस जानलेवा बीमारी के बारे में लोगों में जागरुकता होनी काफी जरूरी है। इसलिए हर साल 4 फरवरी को वर्ल्ड कैंसर डे मनाया जाता है। इस दिन का महत्व कितना अधिक है, इस बात को समझने के लिए आपको एक ताजा रिपोर्ट के बारे में जानना जरूरी है। आइए जानते हैं क्या कहना है WHO की इस रिपोर्ट का और कैसे कर सकते हैं आप इस गंभीर बीमारी से अपना बचाव।
क्या है WHO की रिपोर्ट?
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की कैंसर एजेंसी, इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर के मुताबिक, साल 2050 तक कैंसर के नए मामले, साल 2020 की तुलना में लगभग 77 प्रतिशत अधिक बढ़ जाएंगे। इसे आप यूं समझ सकते हैं कि साल 2050 में कैंसर के लगभग 3.5 करोड़ नए मामले सामने आ सकते हैं। इन बढ़ते मामलों के पीछे की वजह, तंबाकू का सेवन, मोटापा, शराब पीना और वायु प्रदूषण कैंसर के मामले बढ़ने की पीछे की सबसे अहम वजहें हैं। यूए एजेंसी के डाटा के अनुसार, भारत में 75 वर्ष की आयु से पहले किसी व्यक्ति में कैंसर होने की संभावना 10.6 प्रतिशत है, जो अमेरिका और कनाडा की तुलना में काफी कम है। अमेरिका में यह दर लगभग 34.3 प्रतिशत है और कनाडा में 32.2 प्रतिशत। हालांकि, कैंसर की वजह से होनी वाली मृत्यु दर में ज्यादा अंतर देखने को नहीं मिल रहा है। भारत में कैंसर के कारण 75 साल से कम आयु के व्यक्तियों की मृत्यु दर 7.2 प्रतिशत है, तो वही अमेरिका और कनाडा में 8.8 प्रतिशत है, जो भारत से ज्यादा अधिक नहीं है।
आईएआरसी की रिपोर्ट के मुताबिक, लो ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स वाले देशों पर इसका सबसे अधिक प्रभाव पड़ेगा और कैंसर की वजह से सबसे अधिक मौतें भी इन्हीं देशों में होगी। इसका आंकड़ा कुछ इस प्रकार है, इन देशों में लगभग 142 प्रतिशत तक कैंसर के नए मामलों में वृद्धि हो सकती है। वही हाई ह्यूमन डेवलेपमेंट इंडेक्स वाले देशों में लगभग 40 लाख नए केस सामने आ सकते हैं। इस रिपोर्ट को देखने के बाद यह समझा जा सकता है कि कैंसर के प्रति जागरुकता और इसके जल्द से जल्द इसके इलाज का कितना महत्व है।
क्या है कैंसर?
मायो क्लीनिक के मुताबिक, सामान्य सेल्स में असमान्य बदलाव होने की वजह से कैंसरस सेल्स, वे सेल्स जो आगे चलकर कैंसर की वजह बनते हैं, में परिवर्तित हो जाते हैं और असामान्य तरीके से तेजी से बढ़ने लगते हैं। ये कैंसरस सेल्स हेल्दी सेल्स को नष्ट करने लगते हैं और वक्त रहते इलाज न किया जाए, तो शरीर के दूसरे हिस्सों तक भी फैल सकते हैं। वैसे तो कैंसर के लक्षण इस बात पर निर्भर करता है कि वह किस अंग में हुआ है, लेकिन हर कैंसर के कुछ सामान्य लक्षण होते हैं, जिनकी मदद से इसका वक्त पर पता लगाकर, इलाज किया जा सकता है।
क्या है कैंसर के सामान्य लक्षण?
अचानक से वजन कम होने लगना
थकान
ब्लीडिंग होना या चोट के निशान नजर आना
पाचन क्रिया में समस्या
बुखार
त्वचा के टेक्सचर, रंग या मोल में बदलाव होना
कैसे कर सकते हैं कैंसर से बचाव?
स्मोकिंग न करें- स्मोकिंग की वजह से फेफड़ों के कैंसर के अलावा और भी कई प्रकार का कैंसर हो सकता है, जैसे- मुंह का कैंसर। इसलिए सिग्रेट और तंबाकू के उत्पादों से बिल्कुल दूर रहें।
प्रदूषण से बचें- प्रदूषण की वजह से फेफड़ों का कैंसर, त्वचा कैंसर, आदि हो सकता है। इसलिए प्रदूषण से बचने के लिए मास्क, एयर प्योरिफायर आदि का इस्तेमाल करें।
हेल्दी वजन मेंटेन करें- वजन अधिक होने की वजह से शरीर में काफी अनहेल्दी बदलाव होते हैं, जिस वजह से कैंसर का जोखिम भी काफी बढ़ जाता है। इसलिए हेल्दी वजन मेंटेन करना बेहद जरूरी है।
हेल्दी डाइट खाएं- अपनी डाइट में पोषक तत्वों से भरपूर फूड आइटम्स को शामिल करें। एंटी-ऑक्सीडेंट्स खासतौर से कैंसर से बचाव में मदद कर सकते हैं। इसलिए अपनी डाइट में एंटी-ऑक्सीडेंट्स से भरपूर फूड आइटम्स को शामिल करें।
यूवी किरणों से बचें- ज्यादा समय तक बिना एसपीएफ के बाहर जाना कैंसर को बुलावा देना हो सकता है। इसलिए सूरज से आने वाली यूवी किरणों से बचाव करने के लिए सन स्क्रीन का इस्तेमाल करें।
एक्सरसाइज करें- एक्सरसाइज करने से इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। इस कारण से कैंसर से बचाव में काफी मदद मिलती है। इसलिए रोज कम से कम 30-40 मिनट एक्सरसाइज जरूर करें।
वैक्सीन- कुछ वैक्सीन कैंसर कुछ प्रकार के कैंसर के जोखिम को कम करती हैं। जैसे- एचपीवी वैक्सीन की मदद से सर्वाइकल कैंसर के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है। इसलिए अपने डॉक्टर से बात कर, उन वैक्सीन्स को जरूर लगवाएं।
टेस्ट करवाएं- कैंसर के कई प्रकारों को नियमित स्क्रीनिंग की मदद से पकड़ा जा सकता है। जैसे- ब्रेस्ट कैंसर, सर्वाइकल कैंसर आदि के टेस्ट करवा कर, इन्हें शुरुआती स्टेज पर ही पकड़ा जा सकता है।