आईडीए के दौरान फाइलेरियारोधी दवा का सेवन जरूर करें
बाराबंकी। फाइलेरिया जिसे आम बोलचाल की भाषा में हाथी पांव भी कहा जाता है। लेकिन यह बीमारी किसी भी महिला और पुरुष के लटकने वाले अंगों हाथों, पैरों, पुरुषों के अंडकोष और महिला के स्तन (ब्रेस्ट) को भी प्रभावित करती है। समय रहते अगर यदि फाइलेरियारोधी दवा का सेवन नहीं किया गया तो इसका काेई निदान नहीं है।
सीएमओ डॉ. अवधेश यादव ने बताया कि यदि किसी महिला के स्तन में लगातार सूजन बनी रहती है तो यह भी फाइलेरिया रोग हो सकता है। उन्होंने बताया कि लोगों को फाइलेरिया से बचाने के लिए बीती 10 फरवरी से सामूहिक दवा सेवन (आईडीए) अभियान चलाया जा रहा है। इस दौरान स्वास्थ्य कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों को फाइलेरिया से बचाव की दवा खिला रहें हैं। ऐसे में हर कोई स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के सामने ही दवा खाएं और अपने परिवार व आसपास के लोगों को भी यह दवा खाने को प्रेरित करें। इस दवा का सेवन दो साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती और गंभीर बीमार को छोड़कर सभी को करना है। यह दवा उन लोगों को भी खानी है, जिन्हें फाइलेरिया नहीं है। दवा खाली पेट नहीं खानी है। उन्होंने यह भी बताया कि यह दवाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं। इनका कोई विपरीत प्रभाव नहीं है। फिर भी किसी को दवा खाने के बाद उल्टी, चक्कर, खुजली या जी मिचलाने जैसे लक्षण होते हैं, तो यह इस बात का प्रतीक हैं कि उस व्यक्ति के शरीर में फाइलेरिया के परजीवी मौजूद है। ऐसे लक्षण इन दवाओं के सेवन के उपरांत शरीर के भीतर परजीवियों के मरने के कारण उत्पन्न होते हैं। सामान्यतः ये लक्षण स्वतः समाप्त हो जाते हैं, परंतु ऐसी किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए प्रशिक्षित रैपिड रिस्पॉन्स टीम आरआरटी भी बनाई गई है। आवश्यकता पड़ने पर आरआरटी को उपचार के लिए आशा कार्यकर्ता के माध्यम से बुलाया जा सकता है।
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फाइलेरिया के लक्षण —
एसीएमओ (वीबीडी) डॉ. डीके श्रीवास्तव ने बताया कि फाइलेरिया क्यूलेक्स
मच्छर के काटने से होता है। इसका संक्रमण सामान्यतः बचपन में ही हो जाता है। इसके लक्षण 10 से 15 साल बाद दिखाई देते हैं। अचानक बुखार आना (आमतौर पर बुखार 2-3 दिन में ठीक हो जाता है), हाथ-पैरों में खुजली होना, एलर्जी और त्वचा की समस्या, हाथों में सूजन, पैरों में सूजन के कारण पैर का बहुत मोटा पड़ जाना, पुरुषों के जननांग और उसके आस-पास दर्द व सूजन होना, पुरुषों के अंडकोष व महिलाओं के स्तन में सूजन आना फाइलेरिया के लक्षण हैं।
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ऐसे करें बचाव —
फाइलेरिया से बचाव के लिए फाइलेरियारोधी दवा का सेवन करना और मच्छरों से बचना जरूरी है और मच्छरों से बचाव के लिए घर के आस-पास पानी, कूड़ा और गंदगी जमा न होने दें। घर में भी कूलर, गमलों अथवा अन्य चीजों में पानी न जमा होने दें। सोते समय पूरी बांह के कपड़े पहने और मच्छरदानी का प्रयोग करें। यदि किसी को फाइलेरिया के लक्षण नजर आते हैं तो वे घबराएं नहीं। स्वास्थ्य विभाग के पास इसका पूरा उपचार उपलब्ध है। विभाग स्तर पर मरीज का पूरा उपचार नि:शुल्क होता है। इसलिए लक्षण नजर आते ही तुरंत ही सरकारी अस्पताल जाएं।