हमीरपुर : मुस्करा विकासखंड के निवादा गांव में दिव्य प्रेम सेवा मिशन के तत्वाधान में चल रही श्री रामकथा महायज्ञ के दूसरे दिन कथा सुनाते हुए कथा व्यास विजय कौशल जी महाराज ने कहा कि पद हासिल होने पर धन का अंहकार बहुत भयानक होता है। पद और मद दोनों सगे भाई हैं इनके मद में आया व्यक्ति अंधा हो जाता है।
रविवार को रामकथा की शुरूआत भगवान शंकर और पार्वती की कथा से की गई। पहले उन्होंने सगुण और निर्गुण की अवधारणा बताएं उन्होंने कहा कि लोगों को इस तर्क से दूर रहना चाहिए। सगुण और निर्गुण में कोई भेद नहीं है। भगवान भक्त के वशीभूत हैं। जैसे जल का कोई आकार नहीं होता इस जल को कटोरे में भरकर फ्रिज में रख देने से वह आकार में परिवर्तित हो जाता है। वैसे ही भक्तों ने भगवान को रो-रो कर इस दुनिया में प्रकट किया है। भगवान परम स्वतंत्र हैं। भगवान दो चीजों में परतंत्र है। पहले उनका कोई नाम दूसरा उनका कोई आकार नहीं हो सकता। आप जिस नाम से जिस आकार में उनको देखेंगे उस नाम आकार में वह नजर आएंगे। बताया कि वृंदावन में हजारों मंदिर सबके नाम अलग-अलग है परंतु सबका उद्देश्य एक ही है इसीलिए भगवान के रूप आकार में तर्क न कर कर भगवान के भजन में लग जाइए। जैसे कोई तंबाकू का सेवन करता तब उसके खाने में कोई तर्क तो होगा नहीं इसी प्रकार भगवान भी अच्छे लगते हैं उनके भजन करना अच्छा लगता है। किसी से तर्क वितर्क मत करिए। बस अपने भजन में मस्त रहिए। विश्वासे फल दायक विश्वासे मिले वस्तु पर विश्वास रखें। उन्होंने बताया कि किस प्रकार से भगवान नारद को श्राप मिला था कि वह कहीं भी दो घड़ी से ज्यादा ठहर नहीं सकते हैं यह श्राप दक्ष प्रजापति द्वारा दिया गया था। भगवान इस दुनिया में अवतार अपने भक्तों की पुकार सुनकर लेते हैं। भगवान कब निराकार से आकर में आए उन्होंने बताया कि जब-जब किसी धर्म पर अत्याचार गायों पर अत्याचार, गरीब ब्राह्मण पर अत्याचार, भगवान के भक्तों पर अत्याचार हुआ है। तब तब भगवान निराकार से आकर में आए हैं। संत विजय कौशल महाराज ने बताया कि कैसे भगवान श्री राम का इस दुनिया में अवतार हुआ। आज कथा में श्रोताओं की भारी भीड़ रही। सोमवार कथा का तृतीय दिवस होगा।