हिंदी बेल्ट के तीन राज्यों में जीत के साथ भाजपा 2024 लोकसभा चुनावी मोड पर

पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों का परिणाम आने व हिंदी बेल्ट के तीन राज्यों मध्यप्रदेश , राजस्थान व छत्तीसगढ़ में शानदार जीत के साथ भाजपा ने 2024 की चुनावी जंग का बिगुल अभी से फूंक दिया क्योकि भाजपा हमेशा चुनावी मोड पर रहती है । इसी कड़ी में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह हाल ही कोलकाता धर्मतला में एक रैली को संबोधित कर शुरुआत कर दी और इसी के साथ भाजपा एनडीए के तले सहयोगियों का कुनबा बढ़ाने में भी जुटी है। भाजपा को मोदी की अगुवाई में पार्टी को पिछले दो लोकसभा चुनाव में भारी जीत मिली थी । उस सिलसिले को बरकरार रखने और जीत की हैट्रिक बनाने की चुनौती अब भाजपा के सामने 2024 में है। ये बात सही है कि 2019 में विपक्ष उस तरह से एकजुट नहीं था, जिसकी तैयारी इस बार चल रही है। उसके साथ ही जिस तरह से 2019 में भाजपा मजबूत दिख रही थी, वैसी मजबूत स्थिति में इस बार नहीं है।

विपक्ष के मुकाबले भाजपा की स्थिति तो मजबूत है, लेकिन पिछले दो चुनावों में खुद की बदौलत बहुमत हासिल करने वाली भाजपा के लिए 2024 में ऐसा करना उतना आसान नहीं दिख रहा है। एक तो लगातार 10 साल से सत्ता में होने की वजह से भाजपा के सामने एंटी इंकम्बेंसी यानी सत्ता विरोधी लहर की चुनौती है। दूसरी तरफ अगर विपक्षी दलों का गठबंधन बन गया तो, वन टू वन मुकाबले की वजह से देश के कई सीटों पर भाजपा की राह उतनी आसान नहीं होगी, जैसी 2014 और 2019 में थी। इन तस्वीरों और हालात को देखते हुए भाजपा अपने गठबंधन एनडीए को मजबूत करने में जुटी हुई है। इसी कवायद के तहत 18 जुलाई को एनडीए की बैठक रखी गई थी । जिसमें भाजपा का दावा है कि 38 पार्टियां हिस्सा लिया था और उसके बाद पंजाब में शिरोमणि अकाली दल को भी दोबारा एनडीए के साथ में जोड़ने की बातचीत जारी है ।

गौरतलब है कि पिछले लोकसभा चुनाव के मुकाबले 2024 में हालात बदले हुए रहेंगे। 2014 के मुकाबले 2019 में तो भाजपा की जीत और भी बड़ी थी। ऐसे तो भाजपा एनडीए के तले चुनाव लड़ रही थी, लेकिन दोनों ही चुनावों में भाजपा को अपने बदौलत ही बहुमत हासिल हो गया। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को खुद की बदौलत बहुमत से 10 सीटें ज्यादा यानी 282 सीटों पर जीत मिल गई। ये भाजपा के लिए तो पहला मौका था ही, जब उसे केंद्र में खुद से बहुमत हासिल हो गया था। ये ऐतिहासिक भी इस लिहाज से था कि 1984 के बाद यानी 3 दशक के बाद किसी पार्टी ने अपनी क़ुव्वत पर स्पष्ट बहुमत हासिल करने का कारनामा किया था। एनडीए की बात करें तो 2014 में जीत का आंकड़ा 543 में से 336 सीटों पर पहुंच गया।

जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा एक कदम और आगे बढ़ गई। उसने पहली बार 300 का आंकड़ा पार कर लिया। भाजपा को 303 सीटों पर जीत मिली। उसके वोट शेयर में भी 2014 के मुकाबले भारी उछाल दर्ज हुई। 2014 में भाजपा को 31% वोट मिले थे, जो 2019 में 6.36% बढ़कर 37.36% पहुंच गया। 2019 में अगर एनडीए की बात करें तो इस गठबंधन के खाते में 353 सीटें आ गई।इन दोनों चुनावों पर नज़र डालें तो भाजपा 2019 में अपनी 21 सीटें बढ़ाने में कामयाब रही, वहीं उसकी अगुवाई वाले एनडीए गठबंधन की 17 ही सीटें बढ़ीं। ये आंकड़े बताते हैं कि 2019 में एनडीए के बाकी दलों के मुकाबले भाजपा के प्रदर्शन में ज्यादा सुधार दिखा था। नरेंद्र मोदी 30 मई 2019 को दूसरी बार प्रधानमंत्री बने।

2014 से लेकर अब तक भाजपा ने आर्थिक मोर्चे से लेकर अंतरराष्ट्रीय जगत में भारत की तस्वीर बदलने वाले नेता के तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पेश किया है। 2024 में भी पीएम मोदी ही भाजपा के चेहरे होंगे। हालांकि भाजपा के सामने यही सबसे बड़ी चुनौती है कि क्या वो नरेंद्र मोदी के नाम पर लगातार 3 लोकसभा चुनाव जीतने का कारनामा कर उस रिकॉर्ड की बराबरी कर पाएगी, जो देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के पास है। तीन लोकसभा चुनाव तो कांग्रेस ने इंदिरा गांधी के नाम से भी जीती थी, लेकिन लगातार ये कारनामा करने का रिकॉर्ड अब तक सिर्फ़ जवाहरलाल नेहरू के नाम ही दर्ज है। पर हाल केमें विधान सभा चुनाओं को भी मोदी के नाम व चहरे पर लड़ा गया व जीत हासिल की गई उससे पार्टी उत्साहित है ।

आगामी लोकसभा चुनाव में सत्ता विरोधी लहर की चुनौती तो बड़ी होगी ही, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर भाजपा ने पिछले दो कार्यकाल में उम्मीदों का जो पहाड़ बानाया है, उसकी वजह से भी उसके ऊपर दबाव बढ़ गया है। विपक्षी गठबंधन को मूर्त रूप मिलने से भी भाजपा की परेशानी बढ़ेगी, इसकी भी पूरी संभावना है। इन चुनौतियों के साथ ही जिन राज्यों में 2019 में भाजपा का प्रदर्शन अभूतपूर्व रहा था, उन प्रदेशों में 2024 में वैसा ही कारनामा करना अब भाजपा के लिए आसान नहीं रहने वाला है। ये सारी बातें मिलकर भाजपा के लिए आशंका पैदा कर रहे हैं कि क्या पार्टी का प्रदर्शन 2019 के जैसा रहेगा।

भाजपा की आशंका और नुकसान के डर की संभावना को समझने के लिए कुछ राज्यों में एनडीए के बाकी हिस्सेदार दलों को छोड़कर सिर्फ़ भाजपा के पिछले प्रदर्शन पर नजर डालनी होगी। 2019 के चुनाव में भाजपा ने 300 का जो आंकड़ा पार किया था उसमें उत्तर प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश और कर्नाटक के साथ ही महाराष्ट्र, बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे लोकसभा सीटों के नजरिए से बड़े राज्यों की काफी महत्वपूर्ण भूमिका थी। इन 8 राज्यों में भाजपा का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा था। इन 8 राज्यों में कुल 318 लोकसभा सीटें आती हैं। भाजपा को 2019 के लोकसभा चुनाव में इन 318 में 223 सीटों पर जीत मिली थी। इन 8 राज्यों में अगर 6 राज्य छत्तीसगढ़, झारखंड, हरियाणा, उत्तराखंड, असम और दिल्ली मिला दें तो इन 14 राज्यों में कुल लोकसभा सीटों की संख्या 379 हो जाती है। भाजपा को 2019 में इन 379 में से 275 सीटों पर जीत मिली थी। इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि यहीं वो 14 राज्य थे, जहां भाजपा ने पिछले चुनाव में जबरदस्त प्रदर्शन कर एनडीए के तमाम सहयोगियों की सरकार बनाए रखने में मौजूदगी का महत्व खत्म कर दिया था।

इन राज्यों में 2019 के नतीजों और अबकी बार बदले समीकरण ही वो कारण है जो भाजपा को डरा रहा है। अगर सबसे बड़े प्रदेश उत्तरप्रदेश की बात करें तो ये भाजपा की सबसे बड़ी ताकत है। 2014 में भाजपा उत्तरप्रदेश की 80 में से 71 सीटों पर कब्जा करने में कामयाब रही थी और 2019 में यहां 62 सीटों पर कमल का परचम लहराया था। ये फिलहाल भाजपा का सबसे मजबूत किला और केंद्र की सत्ता तक पहुंचाने में सबसे कारगर राज्य रहा है और 2024 में भी भाजपा इसे जारी रखना चाहेगी। लेकिन विपक्षी गठबंधन के तहत अगर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़ती है तो भाजपा के लिए पिछला प्रदर्शन दोहराना आसान नहीं है।

अगर इस विपक्षी गठबंधन में मायावती शामिल हो जाती हैं, फिर ज्यादातर सीटों पर वन टू वन फॉर्मूले के मुताबिक लड़ाई होने से भाजपा के लिए उत्तरप्रदेश में 60 से ज्यादा सीटें जीतना बेहद मुश्किल होगा। हालांकि मायावती के विपक्षी गठबंधन में शामिल होने की संभावना बेहद क्षीण नजर आ रही है। इसके बावजूद 2019 के बाद उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की पकड़ पहले से बढ़ी है, जिसकी झलक 2022 के विधानसभा चुनाव में देखने को मिली थी। इस चुनाव में भाजपा को 57 सीटों नुकसान उठाना पड़ा था, जबकि समाजवादी पार्टी को 64 सीटों का फायदा मिला था।

गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा और छत्तीसगढ़ ये कुछ ऐसे राज्य हैं, जहां भाजपा की नजर शत-प्रतिशत सीटों पर रहती है। इन राज्यों में कमोबेश भाजपा का सीधा मुकाबला कांग्रेस के साथ ही रहते आया है और 2024 में भी रहने की संभावना है। हालांकि इन राज्यों गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा और छत्तीसगढ़ में हालिया चुनाव में भाजपा का शानदार प्रदर्शन रहा जिससे भाजपा की उम्मीद बरक़रार है ।

अशोक भाटिया,

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