बरेली लोकसभा सीट से भाजपा ने इन्हें दिया टिकट…

बरेली। लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा प्रत्याशियों की रविवार को जारी सूची के बाद बरेली में ‘संतोष युग’ पर विराम लग गया है। 10 बार चुनाव लड़कर आठ बार विजेता रहे संतोष गंगवार की 11वीं बार की उम्मीदवारी उनकी बढ़ती उम्र से हार गई। अब फिलहाल वह पार्टी में मार्गदर्शक मंडल की भूमिका में नजर आएंगे। वहीं उनकी विरासत को संभालने की जिम्मेदारी उनकी ही बिरादरी के छत्रपाल गंगवार की होगी। इस तरह गंगवार यानी कुर्मी बिरादरी का प्रभाव भी पार्टी में बरेली सीट पर कायम रहेगा।

वैसे, संतोष गंगवार की उम्मीदवारी इस बार के चुनाव में शुरू से ही सवालों में थी। सबसे बड़ी बाधा उनकी उम्र 75 वर्ष होना थी। केंद्र में मंत्री पद जाने के बाद टिकट कटने की आशंका और मजबूत हो गई थी। हालांकि उनके समर्थकों ने मजबूत दावेदारी कर रखी थी। उम्र के अलावा उनका कोई विरोध भी क्षेत्र से नहीं था। यही कारण रहा कि प्रदेश की कई सीटों पर उम्मीदवारों के बावजूद बरेली का टिकट देर से घोषित हुआ। लखनऊ से लेकर दिल्ली तक यहां के टिकट को लेकर मंथन चला।

जानकारों का कहना है कि पार्टी ने संतोष का टिकट तो काटा, लेकिन उनकी बिरादरी की अनदेखी नहीं की। क्योंकि बरेली सीट पर करीब 3.5 लाख गंगवार बिरादरी का वोट है। इस लोकसभा क्षेत्र में आने वाले पांच विधानसभा क्षेत्रों बरेली शहर, कैंट, नवाबगंज, मीरगंज, भोजीपुरा में कुर्मी बिरादरी के गंगवार वोट की बहुलता है। यही नहीं पीलीभीत व आसपास की सीटों में भी इस बिरादरी के खासे मतदाता हैं। इसीलिए जातीय गणित का ध्यान रखते हुए पार्टी ने बहेड़ी से विधायक रहे छत्रपाल गंगवार को मैदान में उतारा।

दो बार के विधायक रहे छत्रपाल
छत्रपाल गंगवार राजनीति के मैदान में जिले की बहेड़ी विधानसभा सीट से दो बार विधायक चुने जा चुके हैं। वर्ष 2007 में सपा के अताउर रहमान को और वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में बसपा उम्मीदवार नसीम अहमद को उन्होंने मात दी थी। पेशे से शिक्षक रहे छत्रपाल की किसानों में अच्छी पकड़ मानी जाती है। छत्रपाल, संतोष को अपना राजनीतिक गुरु भी मानते रहे हैं। लिहाजा पार्टी ने अब बरेली का गढ़ बचाने की उम्मीद छत्रपाल से लगाई है।

आठ बार के सांसद रहे संतोष गंगवार
बरेली से आठ बार सांसद रहे संतोष गंगवार का चुनावी सफर 1984 से शुरु हुआ था। हालांकि 1984 में पहला चुनाव वह कांग्रेस उम्मीदवार आबिदा बेगम से हार गए थे। इसके बाद 1989 वह फिर से लोकसभा चुनाव लड़े और जीत हासिल कर पहली बार सांसद बने। इसके बाद 1991, 1996, 1998, 1999, 2004 में भी लगातार जीत का सेहरा उन्हीं के सिर सजा। वर्ष 2009 में कांग्रेस से प्रवीण सिंह ऐरन ने उनका विजय रथ रोका और वह हार गए। हालांकि उसके बाद 2014 व 2019 में वह फिर चुनाव लड़े और जीत हासिल की।

टिकट न मिलने पर सांसद संतोष गंगवार ने कहा कि पार्टी ने तय कर दिया था कि ज्यादा आयु के लोगों को स्थान छोड़ना चाहिए। ऐसे में अगर पार्टी पहले ही कह देती तो हम टिकट की लाइन में ही नहीं रहते। वैसे पार्टी ने हमारा बहुत साथ दिया। पार्टी के हम आभारी हैं। क्योंकि पार्टी ही चुनाव लड़ाती है। हमसे जो हो सका, वह हमने किया। अब बदलाव की बात होनी चाहिए। इसलिए नए का स्वागत है, उसे अच्छे बहुमत से जिताने का प्रयास करेंगे।
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