नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बंगले के रेनोवेशन के मामले में नियमों का घोर उल्लंघन का आरोप लगाते हुए दिल्ली सरकार के विजिलेंस विभाग की ओर से पीडब्ल्यूडी के छह अफसरों को दिए गए कारण बताओ नोटिस पर रोक लगा दी है। जस्टिस चंद्रधारी सिंह की बेंच ने कहा कि कोर्ट को ये आश्वासन दिया गया था कि इन अफसरों के खिलाफ कोई निरोधात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी, उसके बावजूद कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। मामले की अगली सुनवाई 12 अक्टूबर को होगी।
आज सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के विजिलेंस डायरेक्टर ने कोर्ट से कहा कि वे 12 अक्टूबर तक इन अफसरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करेंगे। पीडब्ल्यूडी के जिन छह अफसरों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था, उन्होंने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। 17 अगस्त को कोर्ट ने दिल्ली सरकार और विजिलेंस के डायरेक्टर और पीडब्ल्यूडी को नोटिस जारी किया था।
पीडब्ल्यूडी के छह अफसरों की ओर से पेश वकील मोहित माथुर ने कहा कि विजिलेंस की ओर से आश्वासन मिलने के बावजूद उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। उन्होंने कहा कि अगर विजिलेंस विभाग कोई निरोधात्मक कार्रवाई करना चाहता है तो उसे कोर्ट की अनुमति लेनी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों को बेवजह निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने मुख्यमंत्री के बंगले का रेनोवेशन पीडब्ल्यूडी मंत्री के आदेश पर किया था। अब उन्हें बलि बकरा बनाया जा रहा है।