बलिया। रविवार की शाम नगर के गंगा बहुउद्देशीय सभागार में बिदेसिया नाटक का जादू सिर चढ़कर बोला। संकल्प के कलाकारों ने अपने जीवंत अभिनय से दर्शकों को जब चाहा हंसाया और जब चाहा रुलाया। पूरे एक घंटे चालीस मिनट तक दर्शक मंत्रमुग्ध होकर नाटक का आनंद उठाया।
संकल्प साहित्यिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था बलिया द्वारा महान लोककलाकार भिखारी ठाकुर की जयंती की पूर्व संध्या और संकल्प के 18वें स्थापना दिवस पर बिदेसिया नाटक का मंचन किया गया। भिखारी ठाकुर द्वारा रचित इस नाटक को जनपद के वरिष्ठ रंगकर्मी आशीष त्रिवेदी ने निर्देशित किया। रोजगार के अभाव में गांव से शहर की ओर पलायन और उस पलायन के दर्द को सहती स्त्री की व्यथा का मार्मिक दृश्य जब मंच पर प्रस्तुत हुआ तो दर्शक भाव विभोर हो गए। भारी संख्या में उपस्थित महिलाएं भावनाओं में इस कदर डूबी कि उनकी आंखें नम हो गई। नाटक में बिदेसी की भूमिका में अपने शानदार अभिनय से निर्देशक आशीष त्रिवेदी ने शमां बांधा। वहीं बटोही की भूमिका में आनन्द कुमार चौहान ने नाटक में जान डाल दिया।
पहली बार मंच पर प्यारी सुंदरी का किरदार निभा रही दिपाक्षी ओझा ने अपने अभिनय से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया। दिपाक्षी के अभिनय की सबने सराहना की। दूसरी पत्नी की भूमिका में मुस्कान गुप्ता भी कमाल रही। दोस्त की भूमिका में अनुपम पाण्डेय ने बेहतरीन अभिनय किया। इसके अलावा राहुल चौरसिया , रितेश पासवान , आयुषी तिवारी, जन्मेजय वर्मा, सुशील केसरी, मौसम कुमार, आलोक कुमार यादव, सानिया श्रीवास्तव, श्रेया श्रीवास्तव, सुप्रिया पांडेय, शालिनी गुप्ता, आकाश कुमार यादव,बआदित्य कुमार शाह, ख्याति सिंह एवं शिवांगी ठाकुर ने भी शानदार प्रदर्शन किया। नाटक में पार्श्व गायन नितेश शर्मा व शैलेन्द्र शर्मा ने किया। नाल वादन प्रेम कुमार प्रेम ने संगीत निर्देशक कृष्ण कुमार यादव मिट्ठू ने अपनी गायकी से नाटक में प्राण फूंक दिया। रूप सज्जा स्मिता पाण्डेय, वस्त्र विन्यास ज्योति, कोरियोग्राफी राहुल कुमार, मंच व्यवस्था अरविंद कुमार गुप्ता का रहा। नाटक की प्रस्तुति से पहले मुख्य अतिथि राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय वाराणसी केन्द्र के निदेशक प्रवीण कुमार गुंजन, सनबीम स्कूल के डायरेक्टर अरुण सिंह गामा, डाक्टर गणेश पाठक, द्विजेंद्र मिश्र व डा कादम्बिनी सिंह ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस अवसर पर प्रवीण गुंजन ने कहा कि समाज का असली नायक वह होता है जो अपने समाज और संस्कृति के लिए काम करता है। अपनी सांस्कृतिक धरोहर को समृद्ध करने का प्रयास करता है। विकास का मतलब सिर्फ सड़क , बिजली, पानी और नाली ही नहीं होता है। ये सारी सारी चीजों की जरूरत है और ये होती रहती हैं। वास्तविक विकास तो अपनी कला, साहित्य और संस्कृति को समृद्ध करना होता है। क्योंकि कोई समाज कितना विकसित है, उसका मापदण्ड उस समाज की संस्कृति तय करती है।
उन्होंने कहा कि समाज को उन्हें अपना नायक बनाना चाहिए जो आपके बीच रहकर आपके लिए काम कर रहा है। नाटक के बारे में उन्होंने कहा कि संकल्प ने आशीष त्रिवेदी के निर्देशन में जिस तरीके से नवोदित कलाकारों को लेकर बिदेसिया का मंचन किया वह अद्भुत है। सीमित संसाधनों में रंगमंच के लिए किए जाने वाले काम के लिए संकल्प की सराहना होनी चाहिए। संकल्प संस्था द्वारा मुख्य अतिथि को अंगवस्त्र, बुके व प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में जनपद के साहित्यकारों , कलाकारों , बुद्धिजीवियों की बड़ी संख्या में उपस्थिति रही। संचालन धनंजय कुमार राय ने किया।