भोलेभाले किसानों के गले का फंदा बन रही है 500 घन मीटर मिट्टी खनन की अनुमति

-भोले भाले किसानों को अपने चंगुल में फंसाकर माफिया खेल रहे हैं अवैध मिट्टी खनन का काला खेल
-इस अनुमति के चक्कर में खुलेआम खनिज विभाग को लग रहा है लाखों के राजस्व को चूना
-आखिर किसकी देखरेख में हो रहा है अवैध मिट्टी खनन का काला कारोबार

निष्पक्ष प्रतिदिन,लखनऊ। राजधानी के बख्शी का तालाब तहसील क्षेत्र के विभिन्न गाँवों में खनन माफिया भोलेभाले जरूरतमंद किसानों को अपने जाल में फंसाकर उनके नाम से 500 घन मीटर की अनुमति लेकर फिर 500 घन मीटर से अधिक मिट्टी की खुदाई कर अपनी जेबें भर रहें है।अगर जांच भी होगी तो फंसेगा किसान क्योंकि अनुमति किसान के नाम पर होती है।बीकेटी में युवाओं के लिए 500 घन मीटर मिट्टी खनन की अनुमति सबसे नया कमाई का साधन बन गया है, जो उन्हें अमीरी की राह पर ले जा रहा है।और जांच हो जाने की स्थिति में भोलेभाले किसानों के गले का फंदा बन रहा है।

बतातें हैं कि जो भी उनके इस काम में बाधा बनने की कोशिश करता है उसे रास्ते से हटाने के लिए वह साम-दाम-दंड-भेद हर तरह के उपाय अपनाते हैं।मिट्टी के अवैध खनन में बहुत कमाई है।इस अवैध मिट्टी खनन के काम में धनबल से लेकर बाहुबल सबका इस्तेमाल किया जा रहा है।इतना ही नहीं खनन माफिया 500 घन मीटर की अनुमति को हथियार बनाकर वैध खनन की आड़ में अवैध खनन का खेल खेलकर खनिज विभाग को लाखों रुपये के राजस्व को खुलेआम चूना लगा रहें है।वहीं रात के अंधेरे में शहर से लेकर गाँवों की सड़कों पर बेरोक-टोक अवैध खनन के डंपर दौड़ रहे हैं। ये वाहन अवैध खनन की मिट्टी का परिवहन तो कर ही रहे हैं,बल्कि तेज गति से चलाने की वजह से लोगों के लिए जानलेवा भी साबित हो रहे हैं। हद तो यह है कि कई हादसों के बावजूद खनन अधिकारी और पुलिस अफसर इसपर चुप्पी साधे हुए हैं।


बतातें हैं बीकेटी के खनन माफियाओं ने भेंसी गांव में किसान को फंसाकर उसके नाम 500 घन मीटर की अनुमति लेकर अनुमति से अधिक खोदाई कर मिट्टी का अवैध परिवहन कर बिक्री कर दी गयी , वहीं फतेहपुर खमरई गांव में लेखपाल की मिलीभगत से खनन माफिया ने अवैध रूप से मिट्टी खनन कर मिट्टी का अवैध परिवहन कर बिक्री की गयी। जिससे यहां पर यह कहावत चरितार्थ होती है कि ‘‘सैंया भये कोतवाल तो डर काहे का।’’ स्थानीय निवासियों का कहना है कि क्षेत्र में अवैध खनन को बढ़ावा मिल रहा है। खनन के चलते आने वाले समय में जंगली जानवरों व आमजनमानस के लिए खेतों व तालाबों के बड़े-बड़े गड्ढे जानलेवा साबित हो सकते हैं। जिम्मेदार विभाग भले ही आंखें मूंद ले, लेकिन ये गड्ढे बरसात में उनके पैरों में पड़ी बेड़ियों की पोल खोलेंगे। जिम्मेदार अधिकारियों की शह पर एक तरफ अवैध खननकर्ता जहां चांदी काट रहे हैं,तो वहीं दूसरी तरफ फलपट्टी क्षेत्र में जगह जगह बर्बादी का मंजर छोड़ने के साथ साथ हादसों के गड्ढे भी छोड़ रहे हैं।

फलपट्टी क्षेत्र के कई गाँवों में वैध की आड़ में खुलेआम अवैध रूप से मिट्टी खनन और परिवहन किया जा रहा है,अवैध रूप से खोदी गयी मिट्टी या तो ईंट भट्ठों पर ईंट पथाई या फिर नवनिर्माणाधीन मकानों,कालेजों में पटाई के लिए पहुंचाई जा रही है।जिसका नजारा संसारपुर के पास एक नवनिर्माणाधीन निजी कालेज में देखा जा सकता है। वहीं क्षेत्र में भी जगह जगह लगे मिट्टी के ढेर अवैध खनन की चुगली कर रहें हैं, और खनन विभाग की मौन स्वीकृति पर सवाल खड़े कर रहे हैं। आखिर विभागीय अधिकारी कार्रवाई को लेकर बेबस क्यों हैं? आखिर अवैध खनन का कार्य किसकी शह पर चल रहा है? क्या वाकई अवैध खनन की जानकारी प्रशासन, पुलिस व खनन विभाग के पास नहीं है? क्षेत्र में अवैध खनन का जिम्मेदार कौन है और किसके इशारे पर मिट्टी का खनन कर बेरोकटोक परिवहन किया जा रहा है? अगर कड़ी निगरानी होती तो अवैध खनन नहीं होता। ऐसे में जिम्मेदारों की संलिप्तता से इनकार नहीं किया जा सकता है।

कैसे टूटेगी इसकी कमर

मेरा दृढ़ मत है, कि अवैध खनन की रोकथाम के लिए सख्त और सुदृढ़ न्यायिक हस्तक्षेप की जरूरत है। जिस प्रकार नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के स्थापित होने के बाद कुछ फर्क पड़ा है। चूंकि यह विशेषकर इसी कार्य के लिए बना है। इसे प्राकृतिक सम्पदा के मिट्टी के अवैध दोहन को रोकना होता है। एक जागरूक व्यक्ति के रूप में मुझे लगता है, कि न्यायिक हस्तक्षेप से दो कार्य होते हैं। एक तो गलत किस्म के लोगों की कमर टूटती है।दूसरा जो इस तरह के लोगों को रोकना चाहते हैं, उनको बल मिलता है।

जिम्मेदार बोले
भेंसी गांव में किसान ने अपने निजी कार्य के लिए 500 घन मीटर मिट्टी खोदाई की अनुमति ली थी,लेकिन किसान की अनुमति का दुरपयोग हुआ।वहीं फतेहपुर खमरई में बिना अनुमति अवैध रूप से मिट्टी खोदी गयी थी।जांच कर कार्रवाई की जा रही है।
सतीश चंद्र त्रिपाठी
उपजिलाधिकारी बीकेटी

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