गोनार्द की धरा से बेनी बाबू की विरासत संभालेंगी श्रेया वर्मा

बाबा से समाजवाद का कखहरा सीखकर सियासी पारी का किया आगाज

बाराबंकी। प्रदेश के सबसे प्रतिष्ठित राजनीतिक परिवार की सदस्य और समाजवादी महिला सभा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्रेया वर्मा, जोकि पूर्व कैबिनेट मंत्री राकेश वर्मा और सुधा वर्मा की पुत्री है। बेनी प्रसाद वर्मा की पोती और मोहन लाल वर्मा की पड़पोती है। यकीनन उनमें बेनी बाबू का अक्स दिखता है। धीरे और नपा-तुला बोलना। वक्ता के रूप में भी गजब का संवाद। बिना समय गवाएं कुछ इस कदर लोगों के बीच घुलना-मिलना जैसे अपनों के ही बीच में हों और उन्हें बरसों से जानती हों। अनजान और वृद्ध महिलाओं से गले लगाकर, हाथ पकड़कर कुछ यूं मिलना जैसे काफी पुरानी जान पहचान हो। यही करिश्माई व्यक्तित्व श्रेया वर्मा को आधी आबादी का प्रतिनिधित्व करने वाली नेत्री से अलहदा बनाती है। सियासी जमात के अहम किरदार रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा ने सिर्फ अपने बड़े बेटे राकेश वर्मा को राजनीति की मुख्य धारा से जोड़ा था।

उन्होंने राकेश वर्मा को विधायक और कैबिनेट मंत्री बनाया। लेकिन अब राकेश वर्मा खुद अपनी बड़ी बेटी श्रेया वर्मा को राजनीति का ककहरा सीखा रहे हैं। एक पिता के लिए इससे ज्यादा खुशी की बात और क्या होगी कि बाबा (स्व बेनी बाबू) की कर्मभूमि से पोती ने सियासी पारी की शुरुआत की है। वही पोती श्रेया वर्मा अब गोंडा में अपने बाबा के अधूरे कामों को पूरा करने और लोगों की जिंदगी में चमक बिखेरने के लिए हर उस चैखट पर दस्तक दे रही है, जहां की जनता ने बेनी प्रसाद वर्मा को सदन तक पहुंचाया। श्रेया वर्मा को सपा से लोकसभा प्रत्याशी घोषित होने के बाद गोंडा जिले की सियासत अचानक गर्म हो गयी है और इसकी तपिश हल्की-हल्की ही सही, सूबे की राजनीति में भी महसूस की जाने लगी है। स्व बेनी प्रसाद वर्मा के नक्श ए कदम पर चलते हुए श्रेया वर्मा ने दो पीढ़ियों के फासले को समेटा है।

इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि पुरानी पीढ़ी के लोगों को श्रेया वर्मा में अपने रोल मॉडल बेनी बाबू दिखते हैं, तो नई पीढ़ी को श्रेया वर्मा में नजर आता है आत्मविश्वास से भरा इक्कीसवीं सदी का चेहरा। श्रेया का अंदाज, लोगों से आत्मिक लगाव, बुजुर्गों जा सम्मान, बिना थके बिना रुके अपने मिशन की ओर बढ़ना बेनी बाबू की याद दिलाता है। अब अक्सर ऐसी बातें कही जाती हैं कि बेनी बाबू और राकेश वर्मा के परिवार की विरासत को कोई मजबूती से संभाल सकता है, तो यह हुनर और सामर्थ्य श्रेया वर्मा में है। चुनौती का सामना करने की उनकी जीवटता और चमत्कार कर सकने की काबिलियत उनमें साफतौर पर नजर आती है। श्रेया वर्मा की यही शख्सियत और लोकप्रियता आज गोंडा लोकसभा क्षेत्र में सत्ता संघर्ष के लिए जूझ रहे लोगों की ताकत बनकर उभरी है।

मेरी नजर में वह एक ऐसी नेता हैं, जिनका खुद का वजूद है। जिनमें देश की सभ्यता पैबस्त है। जिनमे वह तमाम खूबियां हैं, जो एक लीडर में होनी चाहिए। जो कम बोलती हैं मगर तार्किक और संतुलित बोलती हैं। बहरहाल, श्रेया वर्मा के सक्रिय राजनीति में आते ही एक नई सियासत का अभ्युदय होने जा रहा है जिसका ख्वाब राजनीति करने वाली युवा पीढ़ी देख रही है। वहीं गोंडा के सपाइयों और कांग्रेसियों की आंखों में जरूर चमक आ गयी है। खासकर गोंडा में इंडिया गठबंधन के युवा कार्यकर्ता और समर्थक इन दिनों उत्साह से लबरेज हैं। उनका उत्साह इंडिया गठबंधन को मजबूती प्रदान करेगा।

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