सुरंग के अंदर ही बनाए जा रहे हैं अस्थायी कैंप पीएम मोदी ने सीएम धामी से ली रेस्क्यू पर जानकारी

उत्तरकाशी। चारधाम ऑलवेदर परियोजना की सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों की जिंदगी बचाने के लिए बचाव अभियान आज सफल हुआ। उत्तरकाशी टनल हादसे में 17वें दिन बड़ी सफलता मिली है। आखिरकार टनल में फंसे 41 मजदूरों को सही सलामत बाहर निकालने का काम आखिरी पड़ाव पर है। मंगलवार को सुरंग में ब्रेकथ्रू हुआ और स्केप टनल के जरिए मजदूरों को बाहर निकाला जा रहा है।

स्वास्थ्य विभाग ने सुरंग के अंदर अस्थायी कैंप बनाने की तैयारी की शुरू। यहीं की जाएगी बाहर निकाले जाने वाले श्रमिकों की प्राथमिक स्वास्थ्य जांच। इसके बाद सीधे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चिन्यालीसौड़ अथवा जिला चिकित्सालय उत्तरकाशी ले जाया जाएगा।

पीएम मोदी ने सीएम धामी से ली रेस्क्यू पर जानकारी
उत्तरकाशी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से सुरंग में फंसे श्रमिकों का कुशल क्षेम जाना। प्रधानमंत्री ने ड्रिलिंग के संबंध में संपूर्ण जानकारी प्राप्त की। उन्होंने कहा अंदर फंसे श्रमिकों के साथ ही बाहर राहत बचाव कार्य में जुटे लोगों की सुरक्षा का भी विशेष ध्यान रखा जाए। उन्होंने कहा अंदर फंसे श्रमिकों के परिजनों को किसी भी तरह की परेशानी ना हो। साथ ही प्रधानमंत्री ने आगामी रणनीति पर भी चर्चा की।

पहाड़ ने हमें एक चीज सिखाई, विनम्र रहना: अर्नोल्ड डिक्स
उत्तरकाशी। अंतर्राष्ट्रीय टनलिंग विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स ने कहा कि हम पहले भी सकारात्मक रहे हैं और मैं आज भी सकारात्मक हूं। आज पहला दिन है जब मैंने कहा कि मुझे अच्छा लग रहा है। पहाड़ की चोटी पर ड्रिलिंग बिल्कुल सही हो रही है। सुरंग में भी ड्रिलिंग का काम अच्छा चल रहा है। पहाड़ ने हमें एक बात बताई है, वह है विनम्र होना…41 आदमी, जल्द ही अपने घर सुरक्षित जाएंगे।

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चिन्यालीसौड़ हुआ तैयार
उत्तरकाशी। 41 श्रमिकों को उत्तरकाशी में सिल्क्यारा सुरंग से बाहर निकलने के बाद चिकित्सा के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चिन्यालीसौड़ लाया जाएगा। यहां पर पूरी तैयारियां कर ली गई हैं। जैसे-जैसे श्रमिक बाहर आ रहे हैं, वैसे-वैसे अस्पताल में हलचल बढ़ गई हैं।

खुशी के माहौल के बीच लाई गई माला
उत्तरकाशी। उत्तरकाशी टनल हादसे में फंसे 41 मजदूरों को निकालने का काम अब अपने आखिरी पड़ाव पर है। ऐसे में चारों ओर खुशी का माहौल है। श्रमिकों के निकलने पर अब वहां माला भी लाई गई है।

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