बाबा तरसेम सिंह ने अपना जीवन संगत और समाज की सेवा के लिए समर्पित किया…

नानकमत्ता। आठ वर्ष की आयु में बाबा तरसेम सिंह ने घर परिवार छोड़ डेरे की सेवा का व्रत लिया था। डेरा कार सेवा के संत बाबा फौजा सिंह ने उन्हें दीक्षा दी।

धार्मिक डेरा कार सेवा के जत्थेदार बाबा तरसेम सिंह का जन्म 1968 में उत्तर प्रदेश के जिला शाहजहांपुर के एक गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम बिरसा सिंह और माता का नाम प्रीतम कौर था। तरसेम सिंह चार भाइयों में सबसे बड़े थे। जन्म के बाद उनका परिवार खटीमा तहसील के गांव रतनपुर जसारी में आकर बस गया। 1974 में धार्मिक डेरा कार सेवा की स्थापना के बाद डेरे के संत बाबा फौजा सिंह तरसेम सिंह को उनके पिता से ले आए। तरसेम सिंह डेरे के जत्थेदार बाबा टहल सिंह के शिष्य बन गए। डेरे में रहते हुए ही उन्होंने गुरु नानक इंटर कॉलेज नानकमत्ता में 12वीं तक की शिक्षा ग्रहण की। तरसेम सिंह पढ़ाई के साथ डेरे में संगत की सेवा भी करते थे।

बृहस्पतिवार को बाबा तरसेम सिंह की हत्या की सूचना मिलने पर उनके छोटे भाई जोगिंदर सिंह, दर्शन सिंह व परमजीत सिंह अपने ताऊ के लड़के सतनाम सिंह के साथ डेरे पहुंचे थे। सतनाम सिंह ने बताया कि परिजनों ने उनका रिश्ता पंजाब के जालंधर में तय कर दिया था लेकिन तरसेम सिंह ने विवाह से इन्कार करते हुए कहा कि वह अपना जीवन संगत और समाज की सेवा के लिए समर्पित करेंगे।

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