अस्ताचल सूर्य को व्रती महिलाओं ने दिया अर्घ्य

रसड़ा(बलिया)। स्थानीय नगर मे व आस पास के क्षेत्र सहित ग्रामीण अंचलो मे सूर्य षष्ठी पर्व डाला छट्ठ महापर्व बडे धूमधाम से मनाया गया।सूर्य की उपासना का यह पर्व एक दिन पूर्व से ही व्रती महिलाओ अपने घरो को पुजा स्थल गाय के गोबर से लिप आस पास धो पोछ कर साफ सुथरा कर, नहाय खाय दूसरे दिन निर्जला ब्रत रही है इस दिन बरती महिलाए लौकी का सब्जी अन्य अच्छे पकवान का भोजन कर बरती रहती है सूर्य उपासना सूर्य षष्ठी पर्व पुत्र की दीर्घायु धन-धान्य से परिपूर्ण की कामना के लिए रखती है जिसे सूर्य देव की कृपा बनी रहती है ऐसा मान्यता है यह पर्व बिहार राज्य मे सप्ताह पूर्व से तैयारी करने लगते और चार दिन तक मनाते है जो आज यह पर्व सम्पूर्ण देश मे मनाये जाने लगा बिहार राज्य से सटे उ प्र् का यह बलिया जनपद मे बडे ही धूम धाम व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

इस पर्व पर अच्छे पकवान माठ अन्य पकवान व्रती महिलाए चढाने के बनाती है इसके साथ ही फल सेवा संतरा केला अंगूर नीब्बू सीता फल राम फल अनार आम अवला आदि तरह तरह के फ्लो से दवरा सूप मे भरकर छट्ठ घाट घर के सवागं लजाते है सार ही ईख, इस दिन सुहागिन व्रती महिलाओ को पुत्र प्राप्ति होता है वह कोसी भर कर छ: ईख ले जाते है उसपर साडी दूल्हन की तरह ओढा कर चढाती है। इस पर्व के दिन तीन, चार बजे से घाट पर जाने लगती है।

चलाये जाने वाला प्रसाद घर के परिवार के लोगो को सहयोग से ले जाती है और घाटो पर रख पूजन करती है तथा नदी तालाब सरोवर पोखरे के जल मे कमर भर पानी खडे होकर डूबते अस्ता चल सूर्य को अर्घ्य देकर मनते मांगती है जिसे पुत्र प्राप्ति दीर्घायु परिवार धन-धान्य से सम्पन्न की सूर्य देव से मिनती करती है। यह डाला छट्ठ पर्व रसडा नगर मे श्रीनाथ मठ सरोवर (पोखरा)खिरोदर का पोखरा छोटी बवली बडी बवली रोशाशाह का पोखरा अन्य पोखरे के घटो पर चढ़ाया जाता है जिससे नगर मे चहल पहल सा लगता है।आज का सूर्य उपासना डाला छट्ठ महापर्व अस्ताचल सूर्य को अर्घ्य देकर सम्पन्न हुआ

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