धनुष भंग होते ही रामलीला प्रांगण में लगे प्रभु श्रीराम के जयकारे…

मसौली, बाराबंकी। थाना क्षेत्र के कस्बा शहाबपुर में तीन दिवसीय रामलीला का मंचन ग्राम शहाबपुर के सभी कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किया जाता है ।यह राम लीला कार्यक्रम लगभग सौ वर्षों से अधिक समय से होता आया है। प्रथम दिन ताड़का वध दूसरे दिन फुलवारी बाजार नगर दर्शन तथा अंतिम दिन धनुष भंग लीला का मंचन शिव विशाल वर्मा,रोहन सोनी, कृपा शंकर सोनी,अमित सोनी, कृष्णा सोनी,भोला सोनी, लल्लन,चांद रावत आदि के द्वारा मंचन कर कलाकारों ने सभी श्रोताओं का मन मोह लिया। राजा जनक ने अपनी पुत्री सीता का विवाह करने के लिए स्वयंवर का आयोजन किया।


उन्होंने देश-विदेश के राजाओं को आमंत्रित किया, मगर कोई भी राजा शिवजी के धनुष को उठाना तो दूर हिला तक न सका। पुत्री का विवाह होता न देख निराश होकर जनक विलाप करने लगे। उनके शब्दों को सुन लक्ष्मण उत्तेजित हो जाते हैं जिन्हें श्रीराम ने शांत करते हुए कहा कि लखन तुम व्यर्थ में क्यों क्रोध कर रहे हो। राजा जनक हमारे पिता के समान हैं। विश्वामित्र की आज्ञा पाकर श्रीराम ने धनुष का खंडन कर दिया। धनुष टूटने पर हुई गर्जना सुन महर्षि परशुराम की तंद्रा भंग हो गई और वह मिथिलापुरी जा पहुंचे। राजा जनक से धनुष तोड़ने वाले के बारे में पूछते हुए कहा, कहु जड़ जनक धनुष कै तोरा। राजा जनक को मौन देख परशुराम क्रोधित हो जाते हैं। राम परशुराम को शांत करने का प्रयास करते हैं और कहते हैं कि नाथ शंभु धनु भंजनिहारा, हुइहै कोऊ एक दास तुम्हारा। यह कार्य वही कर सकता है, जिस पर आशीष ऋषि-मुनियों का होगा। इस मौके पर नीशू श्रीवास्तव, डॉ राधेश्याम,रितेश सैनी, अरविंद मौर्या, अमरनाथ शर्मा, आदि के साथ साथ हजारों क्षेत्रीय जनता उपस्थित रहे।

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