हमीरपुर : बिवांर में चल रही श्रीमद्भागवत अंतिम दिन भगवान श्रीकृष्ण व सुदामा की मित्रता का वर्णन सुन श्रोताओं की आंखों से आंसू छलक पड़े। सोमवार को कथा समापन के बाद आज भंडारे का आयोजन होगा।
कस्बा स्थित बड़ी देवी मंदिर परिसर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ कथा में वृंदावन से आए कथावाचक आचार्य मिथिलेश दास शास्त्री ने सोमवार को अंतिम दिन सुदामा चरित्र का वर्णन किया। कथाव्यास ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण के बाल सखा सुदामा एक निर्धन ब्राह्मण थे। वह हर रोज केवल पांच घरों से भिक्षा मांगते थे जहां से मिल गई उसी से अपने परिवार का भरण पोषण कर लेते थे। परंतु सुदामा की पत्नी उनसे बार-बार अपने बाल सखा द्वारिकाधीश श्रीकृष्ण के पास जाने को कहती थीं। लेकिन सुदामा अपनी स्थित को देखते हुए हर बार पत्नी की बात टाल देते। परंतु पत्नी की जिद के कारण सुदामा को द्वारिका जाना पड़ा। जहां द्वारिका पहुंचे सुदामा को द्वारपालों ने महल के अंदर नहीं जाने दिया लेकिन बार बार श्रीकृष्ण को अपना मित्र कहने पर द्वारपालों ने उनका संदेश द्वारिकाधीश तक पहुंचाया। जैसे ही श्रीकृष्ण ने सुदामा का नाम सुना तो वह सुध बेध खोकर नंगे पांव सुदामा से मिलने को पैदल ही महलों से दौड़ पड़े थे। यह वृत्तांत सुनते ही सभी श्रोता भाव विभोर हो गए व आंखों से आंसू छलक पड़े। इस मौके पर आयोजक कृष्ण बिहारी, पवन, दीपक पाठक समेत सैकड़ों लोग मौजूद रहे। कथा समापन के बाद आज भंडारे का आयोजन कराया जाएगा।