प्रधानों की लापरवाही के चलते गौशालाओं में भूख और ठंड से तड़प-तड़प कर मर रही गायें

  • मुख्य विकास अधिकारी के निर्देशों के बाद भी अब तक गोवंशों को नहीं मिल सके काऊ कोट
  • इलाज़ के आभाव व बढ़ रही सर्दी में असमय ही काल के गाल में समा रही वृद्ध गायें,जिम्मेदार सब कुछ जानकर बने अंजान

निष्पक्ष प्रतिदिन/लखनऊ

घरों में सुबह की पहली रोटी गाय को खिलाई जाती है यह परंपरा हमारे यहां सदियों से चली आ रही है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार गायों की सेवा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है!हिंदू धर्म में गाय को माता का दर्जा दिया जाता है। इसके अलावा गाय को देव तुल्य भी माना गया है। शास्त्रों में ऐसा बताया गया है, कि गाय के शरीर में सभी देवी देवताओं का वास होता है प्राचीन काल से ही ऋषि मुनि से लेकर बड़े-बड़े राजा महाराजाओं के यहां भी गायों को पाला जाता रहा है, और जब हम पहली रोटी गाय को खिलाते हैं, तो सभी देवी देवताओं को भोग लग जाता है। ऐसा करने से सभी देवी देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है ! धर्म शास्त्रों में ऐसा माना गया है, कि आप भगवान को भोग लगाएं या गाय माता को पहली रोटी खिलाएं दोनों का फल एक समान ही होता है!


गौशाला में भूख प्यास से तड़प-तड़पकर मौत को गले लगा रही इन बेजुबान गायो को देखकर शैतान का भी कलेजा कांप जाएगा लेकिन गौशाला का ठेका लेने वाले प्रधान व सचिव का कलेजा नहीं कांप रहा। गौशालाओं में बेजुबान गायों के मरने का सिलसिला जारी है। ग्रामीणों ने बताया कि भूख प्यास और कपकापतीं सर्दी से गौशालाओं में गाय मर रही हैं। क्योंकि इनको चारे की कोई व्यवस्था नहीं है। भीषण सर्दी में गौवंश खुले में रहते हैं। इनको मुख्य विकास अधिकारी के निर्देशों के बाद भी सर्दी से बचने के लिए अभी तक काऊ कोट की व्यवस्था नहीं की गयी है। लोगों का आरोप है कि प्रशासन सुन नहीं रहा है। जिसकी वजह से लगातार बढ़ रही सर्दी में गायों की मौत गौशालाओं में हो रही है!उदाहरण स्वरूप बीकेटी के मानपुर लाला गौशाला में ख़बर लिखे जाने तक 175 से अधिक गोवंश हैं, जिनमें से एक गाय जमीन पर गिर चुकी हैं।अभी भी इस गाय में जान है, वो पैर पटक रही हैं, कान हिला रही हैं लेकिन बिना इलाज़ के अब अपनी मौत का इंतजार कर रही थी।लेकिन अगर इस गाय का सही समय पर इलाज़ हो जाता तो उसको काल के गाल से बचाया जा सकता था।बता दें कि योगी जी सत्ता में आने के बाद गौवंशो के संरक्षण को लेकर बने नियम सख़्ती के साथ पूरे यूपी में लागू हो गए।जिसके चलते आवारा पशुओं ज्यादातर गौवंशों की संख्या में बाढ़ सी आ गई। आवारा पशुओं से किसानों की फसलों को भारी नुकसान हुआ किसान आंदोलित भी हुए। सरकार ने प्रत्येक जिलों में अस्थायी गौशालाएं खुलवाने का आदेश दिया। गौशालाए खुली भी लेक़िन भ्रष्ट सिस्टम के चलते इन गौशालाओं में स्थिति इतनी बदतर हो गई है कि गौवंशो का जीवन पूरी तरह से नरकीय हो गया है।


उत्तर प्रदेश के सीएम योगी भले ही गाय प्रेम में जी भरकर बजट लुटा रहे हों लेकिन सरकार के नौकरशाह गाय को चारा और पानी तक उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं। बख्शी का तालाब विकासखंड क्षेत्र व नगर पंचायत बीकेटी,महोना व इटौंजा की गौशालाओं में लापरवाही के चलते गौवंश भूख और प्यास से तड़प-तड़प कर दम तोड़ रहे है। गौशालाओं की बद से बदतर हालात पर सरकारी कारिंदे मौन हैं। वही गौशालाओं में मृत गौवंश खुले गड्ढे में सड़ते मिलने की खबर आती रहती है व गौशालाओं के मैदान में गौवंशों को कुत्तो ने मार कर अपना शिकार बना डालने की भी इस तरह की खबरें किसी से छुपी नही है।ग्रामीण क्षेत्रों के लोग गौशालाओं की एक-एककर सच बतातें है। ग्रामीण बताते हैं कि आये दिन पांच दस से अधिक गायों की मौत गौशाला में होती है। गौवंशो को खुले गड्डों में प्रधान व उनके प्रतिनिधियों द्वारा सड़ने के लिये भेज दिया जाता। यह गौवंशो की हालत देखकर किसी भी पशु प्रेमी का दिल दहल उठेगा। यहां पशु चिकित्सक, प्रशासन व प्रधानों और सचिवों लापरवाही के चलते भूख और प्यास से तड़प- तड़पकर बेजुबान गाय दम तोड़ रही है। लापरवाही की हद तो तब पार हो रही है जब गाय को चील कौवे और कुत्ते नोच-नोच कर खा रहे हैं। लेकिन किसी भी अधिकारी व पंचायत प्रधान पति का अभी इस ओर कोई ध्यान नहीं है। मृत गौवंशो को प्रधान व पशु चिकित्सक बिना पोस्टमार्टम कराये गड़वा देते है। गौशाला में भूख से परेशान बेजुबान गोवंश तड़प-तड़पकर मौत को गले लगा रहे हैं।

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