ईडी के समान पर हाईकोर्ट पहुंचे अरविंद केजरीवाल, याचिका पर सुनवाई आज…

नई दिल्ली। आबकारी नीति घोटाला से जुड़े मनी लॉन्डिंग मामले में ईडी के नौवें समन को गैरकानूनी बताते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी है। केजरीवाल की याचिका पर आज बुधवार को न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति मनोज जैन की पीठ सुनवाई करेगी।

21 मार्च को पूछताछ के लिए होना है पेश
ईडी ने केजरीवाल को 17 मार्च को नौवां समन जारी कर 21 मार्च को पूछताछ के लिए पेश होने को कहा है। वहीं, दिल्ली जल बोर्ड से जुड़े मनी लॉन्डिंग मामले में भी पहला समन जारी कर 18 मार्च को पेश होने को कहा था, लेकिन केजरीवाल ईडी के सामने पेश नहीं हुए।

केजरीवाल ईडी द्वारा जारी किसी भी समन पर पूछताछ के लिए पेश नहीं हुए हैं। बार-बार समन जारी होने के बाद भी पेश नहीं होने पर ईडी ने राउज एवेन्यू कोर्ट में एडिशनल चीफ मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट (एसीएमए) के समक्ष दो शिकायतें दायर की थीं।

16 मार्च को कोर्ट में पेश हुए थे केजरीवाल
ईडी की शिकायत पर जारी दो समन पर 16 मार्च को अरविंद केजरीवाल एडिशनल एसीएमए दिव्या मल्होत्रा के समक्ष पेश हुए थे और अदालत ने उन्हें 15-15 हजार के मुचलके व एक-एक लाख के जमानती पर जमानत दी थी।

मजिस्ट्रेट अदालत द्वारा जारी समन को मुख्यमंत्री ने सत्र न्यायाधीश में चुनौती दी थी। 15 मार्च को सत्र न्यायाधीश ने समन पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया था। अदालत ने केजरीवाल को मजिस्ट्रेट अदालत के समक्ष राहत की मांग करने की स्वतंत्रता दी थी।

इस मामले में एक अप्रैल को होनी है अगली सुनवाई
इस मामले में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और आप राज्यसभा सदस्य संजय सिंह पहले से ही न्यायिक हिरासत में हैं। ईडी ने केजरीवाल पर समन के गैर-अनुपालन का आरोप लगाया था। निचली अदालत ने ईडी के सामने पेश नहीं होने का अपराध जमानती होने के कारण आरोपित को जमानत दे थी। इस मामले में एक अप्रैल को अगली सुनवाई होनी है।

यह है मामला…
सीबीआई और ईडी ने आरोप लगाया है कि आबकारी नीति को संशोधित करते समय अनियमितता की गई थी और लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ दिया गया था। इसमें लाइसेंस शुल्क माफ या कम किया गया था।

इस नीति से सरकारी खजाने को 144.36 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। 22 जुलाई 2022 को एलजी वीके सक्सेना ने नई आबकारी नीति (2021-22) के क्रियान्वयन में नियमों के उल्लंघन और प्रक्रियात्मक खामियों का हवाला देकर सीबीआई जांच की सिफारिश की। इसपर सीबीआई ने प्राथमिकी की थी।

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