मनरेगा के तहत वर्तमान में लगभग 14.28 करोड़ सक्रिय श्रमिक

नई दिल्ली। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना यानी मनरेगा के तहत मजदूरी भुगतान अब केवल आधार आधारित भुगतान प्रणाली (एबीपीएस) के माध्यम से किया जाएगा। सोमवार को सूत्रों ने यह जानकारी दी। प्रणाली के माध्यम से भुगतान को अनिवार्य बनाने के लिए राज्य सरकारों के लिए समय सीमा का अंतिम विस्तार 31 दिसंबर को समाप्त हो गया।

एबीपीएस के माध्यम से ही किया जाएगा भुगतान
सूत्रों ने कहा कि राज्यों को यह बता दिया गया है कि भुगतान अब केवल एबीपीएस के माध्यम से ही किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यदि किसी राज्य को कोई शिकायत है तो उसका निस्तारण मामले-दर-मामले के आधार पर किया जाएगा। एबीपीएस श्रमिक के वित्तीय पते के रूप में 12 अंकों के आधार नंबर का इस्तेमाल किया जाता है। एबीपीएस-सक्षम भुगतान के लिए एक श्रमिक के आधार विवरण को उसके जाब कार्ड के साथ जोड़ दिया जाता है और आधार को श्रमिक के बैंक खाते से लिंक कर दिया जाता है।

मनरेगा के तहत करीब 14.28 करोड़ सक्रिय श्रमिक
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय की वेबसाइट पर आधार जनसांख्यिकी सत्यापन स्थिति रिपोर्ट के अनुसार, एक जनवरी के आंकड़े के अनुसार मनरेगा के तहत लगभग 14.28 करोड़ सक्रिय श्रमिक हैं। अभी तक 13.48 करोड़ श्रमिकों के आधार जोड़े जा चुके हैं। 12.90 करोड़ श्रमिकों के आधार का सत्यापन हो गया है, लगभग 12.49 करोड़ श्रमिकों को आधार-आधारित भुगतान प्रणाली में परिवर्तित कर दिया गया है।

इसका मतलब है कि मनरेगा के तहत सक्रिय श्रमिकों में से लगभग 12.5 प्रतिशत अभी भी एबीपीएस सक्षम नहीं हैं। जब कुल श्रमिकों की बात आती है तो एक जनवरी के आंकड़े के अनुसार, मनरेगा के तहत लगभग 25.89 करोड़ श्रमिक हैं, जिनमें से 17.37 करोड़ एबीपीएस में हैं। इसका मतलब है कि 32 प्रतिशत से अधिक श्रमिक एबीपीएस के लिए पात्र नहीं हैं।

कांग्रेस ने केंद्र सरकार को घेरा
मनरेगा भुगतान के लिए आधार आधारित प्रणाली अनिवार्य किए जाने पर कांग्रेस ने सोमवार को केंद्र सरकार को घेरा। कहा – मोदी सरकार को सबसे कमजोर भारतीयों को उनके सामाजिक कल्याण के लिए दिए जा रहे लाभों से वंचित करने के लिए प्रौद्योगिकी विशेष रूप से आधार को हथियार बनाना बंद करना चाहिए।

पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि मनरेगा मजदूरी भुगतान के लिए एबीपीएस का उपयोग कर मोदी सरकार ने प्रौद्योगिकी के साथ विनाशकारी प्रयोग जारी रखा है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह प्रधानमंत्री का अत्यंत गरीब और हाशिए पर रहने वाले करोड़ों भारतीयों को बुनियादी आय अर्जित करने से वंचित करने का नए साल का खतरनाक तोहफा है।

Related Articles

Back to top button