भारत में चल रही अंटार्कटिक संसद की बैठक

नई दिल्ली। केरल के कोच्चि में 46वीं अंटार्कटिक संसद चल रही है। भारत की मेजबानी में ये संसद 20 मई से आज 30 मई तक चलेगी, जिसमें 56 देश हिस्सा ले रहे हैं। दरअसल, ये सभी देश अंटार्कटिक में वर्चस्व की लड़ाई के खात्मे के लिए एकजुट हुए हैं।

सभी देश अंटार्कटिक में क्लाइमेट चेंज और क्षेत्र को बचाने के लिए कदम उठाने के बारे में वार्ता करेंगे।

कैसे हुई अंटार्कटिक संसद की शुरुआत
दरअसल, द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद अंटार्कटिक महाद्वीप पर कई देशों ने अपना दावा ठोक दिया था। 1950 के करीब ब्रिटेन, अर्जेंटीना, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, नार्वे और चिली ने अंटार्कटिका के अलग-अलग हिस्सों पर अपना दावा ठोकना शुरू कर दिया।

इसके बाद अंटार्कटिका को लेकर दुनिया एक और विश्वयुद्ध नहीं चाहता था, जिसके लिए अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, जापान, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे 12 देशों ने अंटार्कटिक संधि पर हस्ताक्षर किए।

संधि में किस पर रहा फोकस
अंटार्कटिक संधि में 14 प्रमुख अनुच्छेद शामिल हैं, जो अलग-अलग क्षेत्रों पर फोकस करते हैं।
सबसे मुख्य ट्रीटी इस बात को लेकर थी कि यहां कोई भी देश सैन्य प्रशिक्षण और अपना बेस नहीं बना सकता।
यहां किसी भी प्रकार का न्यूक्लियर टेस्ट नहीं हो सकता और ना ही यहां किसी भी प्रकार का न्यूक्लियर वेस्ट का निपटान हो सकता।
यहां जितनी भी खोज होगी, उसे सभी देशों में साझा किया जाएगा।

भारत का क्या है रोल
इस संधि में 1980 के दशक में भारत भी हिस्सा बना। भारत 1983 में इस संधि के तहत कंसल्टेटिव पार्टी बना था, जहां उसे महत्वपूर्ण बैठकों में हिस्सा लेने और वोट करने तक का अधिकार मिला।
हालांकि, भारत ने 1956 में ही भारत ने अंटार्कटिका के संरक्षण का मुद्दा उठाया था, लेकिन 1981 में वैज्ञानिक शोध की इजाजत मिली। 1983 में ही भारत ने वहां अपना पहला स्टेशन गंगोत्री स्थापित कर दिया था। उसके बाद 1989 में दूसरा स्टेशन मैत्री स्थापित किया।
इसके बाद भारत ने 2012 में तीसरा स्टेशन भारती स्थापित किया। इन सभी स्टेशन की मदद से इसरो अपने शोध करता है और डाटा पाता है।

इस बार की संसद में क्या है खास मुद्दा
इस बार की अंटार्कटिक संसद का सबसे खास मुद्दा बढ़ता टूरिज्म है। वैज्ञानिकों का मानना है कि तेजी से बढ़ता टूरिज्म और ज्यादा ग्लोबल वार्मिंग का कारण बन रहा है। जिसके चलते वहां जल्दी बर्फ पिघलने लगी है। अब इस बार इस टूरिज्म को लेकर कानून बनाने की तैयारी चल रही है।

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