•गौभक्त मुख्यमंत्री के शासन में गौवंशों की जमीनी हकीकत ग्राउंड जीरो से!!
गोंडा (हरि सिंह बादल)। धानेपुर विकास खण्ड के ग्राम पंचायत त्रिलोकपुर की गौशाला में गायों की स्थिति का दर्द नाक मंजर देखने के बाद तो यही कहा जा सकता है कि उत्तरप्रदेश की योगी सरकार में गायों की दुर्दशा सबसे अधिक आश्रय केन्द्रो में हो रही है। पशुओं की सुरक्षा के लिए बनाई गयी गौ शालाओं में रहने वाले मवेशियों से बाहर घूमने वाले मवेशियों की स्थिति बेहतर पाई जा रही है।
त्रिलोकपुर की गौशाला के मुख्यद्वार पर ताला लटकता मिला आस पास के लोगो से पूछने पर पता चला की आश्रय केंद्र संचालक कहीं बाहर गया है। वहां मौजूद लोगों के सहयोग से मिट्टी की दीवाल पर चढ़कर भीतर दाखिल होते ही जो दर्दनाक मंजर देखने को मिला उसे शब्दों में लिख पाना तो कठिन है किन्तु प्रयास अवश्य किया जाएगा ताकि बेजुबान पशुओं की चीत्कार जिले के जिम्मेदार अफसरों तक पहुंच सके।
इस आश्रय केंद्र के भीतर छोटे बड़े कुल पच्चीस की संख्या में पशु कैद हैं जिनमें गाय और गौवंश शामिल हैं। इनके चारे के इंतजाम में केवल सूखा भूसा मिला जो कि काला पड़ चुका है, जिसे किसी तरह पशु खाते दिखे। नादों को देखकर ऐसा प्रतीत हुआ की उसमे पानी की एक भी बूँद टिक नही सकती गाय का एक नवजात बछड़ा घायल अवस्था में पड़ा तड़प रहा था, जिसकी आँखें पक्षियों ने नोंच डाली थीं, आखों से खून बह रहा था। इस दर्दनाक स्थिति को देखने के बाद मौके से ही मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी से वार्ता की गयी तो उन्होंने बताया कि आश्रय केंद्र में बीमार पशुओं की जानकारी केयर टेकर अथवा ग्राम प्रधान द्वारा स्थानीय चिकित्सक को दी जानी चाहिए। सूचना मिलने पर हमारे चिकित्सक आश्रय केंद्र पहुंच कर इलाज उपलब्ध कराते। मिली सूचना के आधार पर सम्बंधित की निर्देशित किया जा रहा है।
खण्ड विकास अधिकारी राजेन्द्र यादव ने बताया की निरीक्षण किया जाएगा, जो खामियां मिलेगी उसमें सुधार किया जाएगा। इतनी कम संख्या में मवेशी होने के बावजूद दुर्दशा के सम्बन्ध में जानकारी लेने के लिए ग्राम प्रधान मिश्रीलाल कनौजिया से सम्पर्क करने की कोशिश की गयी किन्तु वे पहुंच से काफी दूर मिले।
कुल मिला कर आश्रय केंद्र में रह रहे मवेशियों अथवा केंद्र में व्याप्त अब्यवस्थाओं के प्रति सभी अपना पल्ला झाड़ते नज़र आये। बाहर आने पर एक बृद्ध महिला ने जानकारी देते हुए बताया की वो केयर टेकर की पत्नी है। पति रिस्तेदारी में गए हैं।
गौ शाला की दुर्दशा के सम्बन्ध में उन्होंने खुद अपना बयाँ करते हुए बताया की अगले वर्ष की मजदूरी आज तक नही मिली ग्राम प्रधान से दिक्कतों के बारे में बताया जाता है वे ध्यान नही देते। गरीब परिवार है जैसे तैसे परिवार पल रहा है। ऐसी हालत में पशुओं की स्थिति कैसे सुधारी जाए।