नई दिल्ली। आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत किसानों को नैनो यूरिया के बाद अब नैनो डीएपी मिलने जा रहा है। दुनिया में लिक्विड डीएपी का पहला प्लांट गुजरात के कलोल में लगाया गया है, जिसका उद्घाटन मंगलवार को केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने किया। इस प्लांट से पांच सौ एमएल वाली दो लाख बोतलों का प्रतिदिन उत्पादन होगा। प्रत्येक बोतल 45 किलो के बैग के बराबर होगा। एक बोतल की कीमत छह सौ रुपये होगी।
90 लाख टन उत्पादन करता है इफको
अमित शाह ने कहा कि इफको ने ‘लैब टू लैंड’ दृष्टिकोण के तहत वैज्ञानिक अनुसंधान को खेतों तक पहुंचाने का बड़ा काम किया है। अभी देश में 384 लाख टन उर्वरक का उत्पादन होता है। इसमें सहकारी समितियां लगभग 132 लाख टन उत्पादन करती हैं। इसमें भी अकेले इफको 90 लाख टन उत्पादन करता है।
उर्वरकों के उत्पादन मामले में इफको एवं कृभको जैसी सहकारी समितियों का बड़ा योगदान है। इफको ने नैनो उर्वरकों का पेटेंट करा लिया है। इसके तहत अगले 20 वर्षों तक दुनिया में कहीं भी तरल यूरिया और तरल डीएपी की बिक्री पर उसे 20 प्रतिशत रायल्टी मिलेगी।
17 करोड़ नैनो यूरिया बोतल का खड़ा हो चुका ढांचा
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पहली बार 24 फरवरी 2021 को नैनो यूरिया को मंजूरी दी थी। लगभग ढाई वर्ष के भीतर ही देश में 17 करोड़ नैनो यूरिया बोतलें बनाने का ढांचा खड़ा हो गया है। नैनो यूरिया की बिक्री अगस्त 2021 से प्रारंभ हुआ था। अबतक 6.45 करोड़ नैनो यूरिया एवं 20 लाख टन नैनो डीएपी की बोतलें बेची जा चुकी है। इससे उर्वरकों की खपत एवं आयात में बड़ी कमी आई है। अभी तक 14 हजार करोड़ की विदेश मुद्रा की बचत हुई है। इसी तरह 13 हजार दो सौ करोड़ की सब्सिडी भी बची है।
नैनो डीएपी से बढ़ेगी आत्मनिर्भरता
नैनो डीएपी का यह प्लांट 70 एकड़ क्षेत्र में फैला है। सौ प्रतिशत स्वदेशी तकनीक एवं संसाधनों से निर्मित नैनो डीएपी के तरल उर्वरकों के इस्तेमाल से किसान अपनी उपज बढ़ाने के साथ-साथ बंजर होती जमीन को भी बचा सकते हैं। पर्यावरण की सुरक्षा बढ़ेगी और जल भी प्रदूषित नहीं होगा। सरकार पर सब्सिडी का बोझ कम होगा और उर्वरकों के मामले में आत्मनिर्भरता बढ़ेगी। किसानों को उचित दाम एवं सही मात्रा पर उर्वरकों की आपूर्ति हो सकेगी। प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने में भी नैनो उर्वरकों का प्रयोग सहायक होगा।