सिर दर्द, बदन दर्द या शरीर के किसी भी हिस्से में दर्द हो तो बिना डॉक्टर की सलाह लिए पेनकिलर लेना खतरनाक हो सकता है. अब भारतीय फार्माकोपिया आयोग (IPC) ने डॉक्टर्स और लोगों को दर्द निवारक दवा “मेफ्टाल” को लेकर सेफ्टी अलर्ट जारी किया है. इसमें कहा गया है कि मेफ्टाल के ज्यादा सेवन से ड्रेस सिंड्रोम जैसी गंभीर एलर्जी बढ़ सकती है. इसका असर पूरे शरीर पर हो सकता है जिसकी वजह से परेशानी बढ़ जाएगी.
यह अलर्ट 30 नवंबर को जारी किया गया और इसमें कहा गया कि ‘‘स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों, रोगियों-उपभोक्ताओं को सलाह दी जाती है कि वे संदिग्ध दवा के इस्तेमाल से जुड़ी उपरोक्त प्रतिकूल प्रतिक्रिया (एडीआर) की संभावना पर बारीकी से नजर रखें.’’
जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल हो सकता है घातक
आईपीसी ने हेल्थ केयर एक्सपर्ट, मरीजों और उपभोक्ताओं को ये सलाह दी है कि अगर मेफ्टाल दवा के सेवन से कोई प्रतिकूल असर दिखता है तो उसका सेवन तत्काल बंद करने को कहा गया है. हालांकि डॉक्टरों का कहना है कि इस तरह का प्रतिकूल असर बहुत रेयर है.
डॉक्टरों का कहना है कि किसी भी दवा का रिएक्शन अलग अलग मरीजों पर अलग अलग होता है. वैसे भी डॉक्टर बहुत सीमित खुराक में ही मरीज को मेफ्टाल के सेवन का प्रिस्क्रिप्शन देता है. बावजूद इसके अगर कोई अपनी मर्जी से जरूरत से ज्यादा इस दवा का सेवन करता है तो वह परेशानी में पड़ सकता है.
बिना प्रिस्क्रिप्शन मिलती है दवा
भारत में बड़े पैमाने पर मेफ्टाल मेडिकल स्टोर पर उपलब्ध है. खास बात ये है कि इसे खरीदने के लिए डॉक्टरों के डिस्क्रिप्शन की भी जरूरत नहीं है. इस दवा को आसानी से किसी भी मेडिकल स्टोर से खरीदा जा सकता है. इसलिए शरीर में किसी भी तरह के दर्द होने पर लोग मेफ्टाल खरीद कर इसका सेवन करते हैं. पीरियड्स में होने वाले दर्द, सिरदर्द और मांसपेशियों और जोड़ों के दर्द में लोग इसका इस्तेमाल करते हैं. अगर बच्चों को तेज बुखार आता है तो इसके लिए भी डॉक्टर्स मेफ्टाल देते हैं. इसमें मेफेनामिक एसिड होता है जिसका अलग-अलग उपयोग किया जाता है.
क्या होता है इस दवा का असर
मेफ्टाल के ज्यादा इस्तेमाल से ड्रेस सिंड्रोम बढ़ता है. इसका मतलब यानि ड्रग रैश विद इओसिनोफिलिया एंड सिस्टमिक सिम्पटम्स. ये एक एलर्जी रिएक्शन है, जो करीब 10 प्रतिशत लोगों को प्रभावित करती है. दवाओं के कारण होने वाली ये एलर्जी कई बार खतरनाक साबित होती है. इसमें बुखार, त्वचा पर लाल चकत्ते, लिम्फैडेनोपैथी, खून संबंधी परेशानी और कई बार अंदरूनी अंग भी प्रभावित होते हैं. खासतौर पर दो से आठ हफ्ते के भीतर इसका असर देखने को मिलता है. इसलिए यह घातक है.