नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को देशभर के 370 जिलों में परित्यक्त और स्वेच्छा से सौंपे गये बच्चों को गोद लेने की प्रक्रिया में सहायक विशेषज्ञता वाली एजेंसियों (एसएए) की स्थापना में विफल रहने पर नाराजगी व्यक्त की और चेतावनी दी कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में उसके निर्देशों का पालन न करने पर ‘कठोर कदम’ उठाए जाएंगे।
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पार्डीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने अफसोस जताया कि देश के 760 जिलों में से 370 में एसएए क्रियाशील नहीं हैं, जो किशोर न्याय अधिनियम के तहत एक जरूरी कानूनी आवश्यकता है।
एसएए से दत्तक माता-पिता की गृह अध्ययन रिपोर्ट तैयार
एसएए भावी दत्तक माता-पिता की गृह अध्ययन रिपोर्ट तैयार करते हैं और उन्हें पात्र पाए जाने के बाद गोद देने के लिए कानूनी रूप से उपलब्ध बच्चे को बाल अध्ययन रिपोर्ट तथा मेडिकल रिपोर्ट के साथ गोद लेने के लिए संदर्भित करते हैं।
हम कठोर कदम उठाने के लिए बाध्य होंगे- कोर्ट
चीफ जस्टिस ने कहा कि अगर 20 नवंबर, 2023 को जारी हमारे निर्देशों का पालन नहीं किया गया, तो हम कठोर कदम उठाने के लिए बाध्य होंगे। पीठ ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को एसएए की स्थापना और गोद लेने की संख्या पर केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को सात अप्रैल तक नवीनतम डाटा उपलब्ध कराने को कहा है।
क्या अदालत के आदेशों से कोई जमीनी फर्क पड़ा या नहीं
कोर्ट ने यह भी कहा कि वह जानना चाहता है कि क्या अदालत के आदेशों से कोई जमीनी फर्क पड़ा या नहीं। केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि राज्यों को गोद लेने की प्रक्रिया को सुचारु बनाने के लिए कोर्ट आदेशों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए मंत्रालय को डाटा मुहैया कराने के लिए कहा जाना चाहिए।