IPS के बाद अब IAS बनी फरीन

जब हौसले बुलन्द हो तो कामयाबी भी निश्चित ही कदम चूमती है यह करिश्मा कर दिखाया। शहर के मोहल्ला छावनी निवासी व अवकाश प्राप्त सहायक कोषाधिकारी हाजी जाहिद अली की सबसे छोटी पुत्री फरीन जहीद ने। जिसने पीसीएस की ट्रेनिंग के बीच ही आइएएस की परीक्षा उत्तीर्ण कर जनपद को गौरांवित किया है, वहीं शुभ चिन्तकों द्वारा बधाई देने का सिलसिला लगातार जारी है।

शहर के मोहल्ला छावनी निवासी व अवकाश प्राप्त सहायक कोषाधिकारी जाहिद अली की छह भाई बहनों में सबसे छोटी मेधावी पुत्री फरीन जहीद ने आइएएस की परीक्षा उत्तीर्ण कर न केवल अपने परिवार, बल्कि जनपद को भी गौरांवित किया है। फरीन ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा शहर के सेंट मैरीज स्कूल से शुरू की और यही से इंटर की परीक्षा उत्तीर्ण की।

इसके साथ ही अपनी पढ़ाई का सिलसिला जारी रखते हुए केसीएनआइटी से बीटेक इलेक्ट्रॉनिक की परीक्षा उत्तीर्ण की। इसके बाद फरीन दिल्ली चली गई, जहां उसने रेजीडेन्सियल कोचिंग अकैडमि जामिया दिल्ली में 2017 में प्रवेश लिया और अपनी पढ़ाई को जारी रखते हुए वर्ष 2022-23 में पांचवें प्रयास में पीसीएस की परीक्षा उत्तीर्ण की, लेकिन आइएएस बनने का सपना संजोए फरीन अपने प्रयासों को जारी रखे रही, हालांकि वह वर्तमान समय में पीसीएस की ट्रेनिंग पर थी।

इसी बीच आइएएस का परीक्षा परिणाम घोषित हुआ तो उसने 241वीं रैंक पाकर सफलता अर्जित कर अपनी मेधा का न केवल लोहा मनवाया, बल्कि सफलता के साथ अपने परिवार, गुरूजनों का भी मान बढ़ा दिया।

फरीन ने अपनी सफलता का श्रेय अपनी कोचिंग के गुरुजनों व माता-पिता को दिया है। ज्ञात रहे फरीन अपने दो भाई व चार बहनों में सबसे छोटी है। इस सफलता के बाद शुभचिंतकों द्वारा हाजी जाहिद अली को बधाईया देने का सिलसिला जारी है।

साकार हुआ बचपन का सपना : फरीन
आइएएस में सफलता का परचम लहराने वाली फरीन ने ऊपर वाले का शुक्रिया अदा किया और कहा कि उन्हें अपने पापा से हर संभव सहायता मिली है। फेल होने पर भी परिवार ने उनका हौसला लगातार बढ़ाए रखा। साथ ही उनके दोस्तो का भी लगातार सपोर्ट मिलता रहा।

फरीन ने जागरण से बातचीत में बताया कि आइएएस बनने का सपना उनका बचपन से ही रहा है। इस दिशा में वह लगातार प्रयास करती रही और उन्होंने पीसीएस की परीक्षा पांचवे अटेप्ट में पास की। फिर भी वह संतोष नहीं हुई और वह आईएएस के प्रयासों को जारी रखे रही। अंत में उन्हें कामयाबी मिली।

जब परिणाम आया तो फरीन बताती है कि उन्हें सहज ही विश्वास नहीं हो रहा था कि उनका सपना साकार हो गया है। फरीन ने बांदा की बेटियों के लिए संदेश देते हुए कहा कि माता-पिता बेटियों को अच्छी तरह पढ़ाए और उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करे।

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